BHOPAL SAMACHAR - अब आरा मशीन के बहाने मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को लेट करने का ड्रामा शुरू

Bhopal Samachar
अभी कोई विचारधारा की तरफ एक पत्थर उछाल दे तो शाम से पहले बुलडोजर आ जाएगा लेकिन बरखेड़ी फाटक से भारत टॉकीज तक मेट्रो के रूट पर 108 आरा मशीन हटाने का काम आज तक नहीं हुआ है। मजेदार बात देखिए, कि आरा मशीन हटवाने के लिए मेट्रो प्रोजेक्ट वालों ने भोपाल कलेक्टर ऑफिस को 5.5 करोड रुपए दिए हैं। इसके बाद भी भोपाल कलेक्टर काम नहीं कर रहे हैं। अब इस प्रश्न का उत्तर जानना बहुत मुश्किल है कि कलेक्टर काम नहीं कर रहे हैं, या फिर दोनों मिलकर काम नहीं कर रहे हैं। क्योंकि प्रोजेक्ट जितना लेट होगा, ठेकेदार को उतना ज्यादा फायदा होगा। और पिछले दिनों लोकायुक्त द्वारा पकड़े गए प्रोजेक्ट इंजीनियर जैसे अधिकारियों को भी उतना ही ज्यादा फायदा होगा। 

50 बार चर्चा लेकिन नोटिस सिर्फ एक बार 

बरखेड़ी फाटक से भारत टॉकीज तक मेट्रो के रूट पर 108 आरा मशीनें हैं। 48 साल में इन मशीनों की शिफ्टिंग पर 50 से ज्यादा बार चर्चाएं हो चुकी हैं। 8 लोकेशन भी देखी जा चुकीं हैं। लेकिन इन्हें हटाने के लिए एक बार ही नोटिस दिया गया। खास बात यह है कि इसकी शिफ्टिंग के लिए मेट्रो प्रशासन को जिला प्रशासन को 5.5 करोड़ रुपए भी दे चुका है। इसके बाद भी अब तक आरा मशीनें शिफ्ट नहीं हो सकी हैं। अब इसके लिए फिर एक महीने की समय सीमा तय की है। यह समय सीमा कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने सोमवार को दी। उन्होंने शिफ्टिंग में हो रही देरी को लेकर एसडीएम से कहा कि आपअब तक कोई ठोस प्लानिंग नहीं कर पाए हैं। अगले एक महीने में आरा मशीनों की शिफ्टिंग से लेकर सभी अतिक्रमण हटना चाहिए। आरा मशीनों के अलावा एक कब्रिस्तान और अन्य अतिक्रमण आ रहे हैं।

प्रॉब्लम तो 1 साल पहले ही सॉल्व हो गई थी

एक साल पहले, पहली बार आरा मशीन संचालकों को नोटिस जारी किए गए थे। इसमें उन्हें एयरपोर्ट रोड स्थित जमीन पर शिफ्ट होने का ऑप्शन दिया गया। उन्हें जमीन दिखाते हुए कहा गया था कि यही उनके पास विकल्प है, अगर वे शिफ्ट नहीं होंगे तो उन्हें हटा दिया गया था। इसके बाद सभी ने लिखित में दिया था कि वे शिफ्ट होने के लिए तैयार हैं। जमीन जिला उद्योग केंद्र को दी गई थी। उन्हें विकसित कर प्लॉट बनाने के निर्देश दिए थे।

पैसों को लेकर भी उलझ सकता है मामला

मेट्रो कंपनी ने इसके विस्थापन के लिए जिला प्रशासन को 5.5 करोड़ रुपए दिए थे। उनका तर्क है कि यह सरकारी जमीन है। इसलिए विस्थापन के नाम पर कुछ नहीं दे सकते। आज स्थित है कि शिफ्टिंग के लिए भी 20 करोड रुपए खर्च आने वाला है। जो काम 5.5 करोड़ में होने वाला था वह 20 करोड़ में होगा। 

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