BNS 231 - आजीवन कारावास हेतु झूठे साक्ष्य देना या गढ़ना, कितना गंभीर अपराध

Bhopal Samachar
अगर कोई व्यक्ति किसी निर्दोष व्यक्ति को आजीवन कारावास से दण्डित करवाने के लिए या कारावास से दण्डित करने के लिए झूठे साक्ष्य देता है या गढता है तब उसे किस कानून के अंतर्गत दण्डित किया जाएगा जानिए।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 231 की परिभाषा

अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए दोष सिद्ध करने के आशय से मिथ्या साक्ष्य देना या गढ़ना तब वह व्यक्ति BNS की धारा 231 के अंतर्गत दोषी होगा।
अपराध के अवश्यक तत्व :-
1. कोई व्यक्ति आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए दोष सिद्ध करने के आशय से मिथ्या साक्ष्य देता है।
2. कोई व्यक्ति आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए दोष सिद्ध करने के आशय से मिथ्या साक्ष्य गढ़ता है।
3. मिथ्या साक्ष्य अदालत में प्रस्तुत किया जाता है।
4. मिथ्या साक्ष्य किसी व्यक्ति को आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए दोषी ठहराने के लिए उपयोग किया जाता है।

स्पष्टीकरण:-
1. "आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय अपराध" का अर्थ है ऐसा अपराध जिसके लिए आजीवन कारावास या कारावास का प्रावधान है।
2. "मिथ्या साक्ष्य" का अर्थ है ऐसा साक्ष्य जो असत्य या झूठा है।

अपराध नहीं होता है जब:
1. अनजाने में मिथ्या साक्ष्य दिया जाता है।
2. भय या दबाव में मिथ्या साक्ष्य दिया जाता है।
3. मानसिक अस्थिरता में मिथ्या साक्ष्य दिया जाता है।
4. मिथ्या साक्ष्य कानूनी कार्यवाही में इस्तेमाल करने के लिए नहीं बनाया जाता है।

उदाहरण:
1. कोई व्यक्ति अदालत में झूठा बयान देता है जिससे किसी अन्य व्यक्ति को आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया जा सके।
2. कोई व्यक्ति झूठा दस्तावेज बनाता है जिससे किसी अन्य व्यक्ति को आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया जा सके।

THE BHARATIYA NYAYA SANHITA, 2023,SECTION 231 PROVISION OF PUNISHMENT

इस धारा के अपराध असंज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध की डारेक्ट एफआईआर दर्ज नहीं होगी लेकिन पुलिस NCR लिख सकती है एवं इस अपराध के लिए न्यायालय में परिवाद भी लगाया जा सकता है I इस अपराध की सुनवाई सेशन कोर्ट द्वारा की जाती है एवं यह समझोते योग्य नहीं है अर्थात्‌ राजीनामा नहीं किया जा सकता है।  इस अपराध में आरोपी व्यक्ति को उसी प्रकार के दण्ड से दण्डित किया जाता है जिस अपराध में फंसाने के लिए वह झूठा साक्ष्य देता है या गढता है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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