BNS-292 - ऐसा लोक उत्पात जिसका जिक्र संहिता में नहीं है, उसके लिए दण्ड का प्रावधान क्या है

Bhopal Samachar
जब कोई व्यक्ति सड़क पर शोर शराबा कर रहा है या रास्ते से जोर-जोर से चिल्लाता जा रहा है। ऐसे बहुत से लोक उत्पात हैं, जिन अपराधों का जिक्र किसी भी कानून में नहीं है। तब ऐसे अपराधों के खिलाफ किस कानून के अंतर्गत शिकायत दर्ज होगी, जानिए :-

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 292 की परिभाषा

"जो कोई ऐसा कार्य करता है जो लोक न्यूसेंस (सार्वजनिक विकराल) का कारण बनता है, लेकिन जो इस संहिता द्वारा अन्यथा दंडनीय नहीं है, सरल शब्दों में :-
- लोक न्यूसेंस का अर्थ है सार्वजनिक विकराल या सार्वजनिक परेशानी।
- यह धारा उन मामलों में लागू होती है जहां कोई व्यक्ति कुछ ऐसा करता है जो सार्वजनिक विकराल का कारण बनता है, लेकिन जो इस संहिता द्वारा अन्यथा दंडनीय नहीं है।

उदाहरण के लिए:- 
- यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर शोर-शराबा करता है जिससे लोगों को परेशानी होती है, तो यह धारा 292 के तहत आता है।
- यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर गंदगी फैलाता है जिससे लोगों को परेशानी होती है, तो यह धारा 292 के तहत आता है।
इस प्रकार, BNS की धारा 292 उन मामलों में लागू होती है जहां कोई व्यक्ति सार्वजनिक विकराल का कारण बनता है, लेकिन जो इस संहिता द्वारा अन्यथा दंडनीय नहीं है।

सार्वजनिक विकराल (लोक न्यूसेंस) के अंतर्गत निम्नलिखित कार्य आते हैं 

1. शोर-शराबा करना या अवांछित ध्वनि उत्पन्न करना।
2. सार्वजनिक स्थान पर गंदगी फैलाना या मैला करना।
3. सार्वजनिक स्थान पर बदबू फैलाना या दुर्गंध उत्पन्न करना।
4. सार्वजनिक स्थान पर अश्लील या अभद्र भाषा का प्रयोग करना।
5. सार्वजनिक स्थान पर अनुचित या अश्लील हरकतें करना।
6. सार्वजनिक स्थान पर जानवरों को छोड़ना या उन्हें परेशान करना।
7. सार्वजनिक स्थान पर निर्माण या विध्वंस कार्य करना जिससे लोगों को परेशानी होती है।
8. सार्वजनिक स्थान पर व्यापार या वाणिज्य करना जिससे लोगों को परेशानी होती है।

THE BHARATIYA NYAYA SANHITA, 2023,SECTION 292 PROVISION OF PUNISHMENT

इस धारा के अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध की डायरेक्ट एफआईआर दर्ज नहीं होगी होगी लेकिन NCR लिखी जा सकती है एवं न्यायालय द्वारा उचित कार्यवाही कर आरोपी को जमानत पर छोड़ दिया जा सकता है। इस अपराध की सुनवाई कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है एवं यह समझौता योग्य नहीं है अर्थात्‌ राजीनामा नहीं किया जा सकता है।
सजा:- इस धारा के अपराध के लिए एक हजार रुपये का जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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