BNS 298 - धर्म का अपमान करने के उद्देश्य से उपासना स्थल को क्षति करना कब अपराध होता है, जानिए

Bhopal Samachar
यदि कोई व्यक्ति किसी धर्म का अपमान करने के उद्देश्य से किसी उपासना स्थल पर तोड़फोड़ करता है अथवा किसी भी प्रकार की क्षति करता है, तो उसके खिलाफ कानून में कठोर कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। यह प्रावधान सभी प्रकार के धार्मिक स्थलों के लिए एक समान रूप से लागू होता है।

भारतीय न्याय संहिता, 2024 की धारा 298 की परिभाषा

यदि कोई व्यक्ति किसी धर्म के अनुयायियों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से किसी मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च या किसी अन्य उपासना स्थल को नुकसान पहुँचाता है, अपवित्र करता है या उसकी मर्यादा को भंग करता है, तो वह व्यक्ति BNS की धारा 298 के अंतर्गत दोषी होगा।
नोट:- यह धारा किसी भी धर्म के अनुयायियों की भावनाओं का सम्मान करने और उनके उपासना स्थलों की मर्यादा बनाए रखने के लिए है।

THE BHARATIYA NYAYA SANHITA, 2023,SECTION 298 PROVISION OF PUNISHMENT

इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध की एफआईआर दर्ज होगी लेकिन थाने से आरोपी को जमानत नहीं मिलेगी। इस अपराध की सुनवाई कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है एवं यह अपराध समझोते योग्य नहीं है अर्थात्‌ राजीनामा नहीं किया जा सकता है।
सजा:- इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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