सुप्रीम कोर्ट ने अपने बहुत से निर्णयों में य़ह बात स्पष्ट रूप से कहीं है कि किसी भी व्यक्ति को शक या संदेह के आधार पर अपराधी नहीं माना जा सकता है लेकिन पुलिस को कानूनी अधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी व्यक्ति को संज्ञेय अपराध के संदेह में गिरफ्तार कर सकती है। जानिए:-
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 169 की परिभाषा
यदि किसी व्यक्ति को लगता है की कोई अन्य व्यक्ति संज्ञेय अपराध करने वाला है। इसकी सूचना के बाद पुलिस अधिकारी परिकल्पना के आधार पर अपराध की तैयारी करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है।
उदाहरण के लिए:-
- यदि पुलिस को पता चलता है कि कुछ लोग बैंक को लूटने की योजना बना रहे हैं, तो इस जानकारी के आधार पर संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है।
- यदि पुलिस को पता चलता है कि कोई व्यक्ति, किसी दूसरे व्यक्ति की हत्या की योजना बना रहा है। ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है।
- यह कार्यवाही BNSS कीधारा 170 के अंतर्गत पूर्ण होगी।
गिरफ्तारी के अलावा पुलिस अपराध को रोकने के लिए दूसरे उपाय भी कर सकती है। यदि पुलिस संदेह के आधार पर गिरफ्तारी करती है तो, कोर्ट में संबंधित पुलिस अधिकारी को यह साबित करना होगा कि उसका फैसला अपराध को रोकने के लिए था और उसके पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था। ऐसे मामलों में अक्सर अपराधियों के पास से अवैध हथियार मिल जाते हैं। जो पुलिस की सूचना और आशंका को सही साबित कर देते हैं।
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