भोपाल में 5 साल की मासूम लड़की के साथ दरिंदगी और हत्या के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने फैसला लिया है कि यदि सरकारी योजना के तहत आवंटित किए गए आवास में कोई और व्यक्ति रहता हुआ मिला तो जिस व्यक्ति के नाम वह आवास आवंटित किया गया है, उसके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी। उल्लेख करना अनिवार्य है कि, केवल गरीब ही नहीं बल्कि सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों के लिए आवंटित शासकीय आवास में भी कई बार उनके रिश्तेदार अथवा अवैध किराएदार निवास करते हुए मिलते हैं।
मामला दर्ज होगा और मकान भी हाथ से जाएगा
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हाउसिंग फॉर ऑल के तहत बनी हुई मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में 5 दिन पहले 5 साल की मासूम लड़की के साथ दरिंदगी की गई और फिर उसकी हत्या कर दी गई। इस मामले में पुलिस ने जिस व्यक्ति को अपराधी बताया है, वह इस बिल्डिंग में अवैध रूप से किराए पर रह रहा था। अब सरकार ने तय किया है कि, विभिन्न योजनाओं के तहत गरीबों को दिए गए आवासों का सर्वे किया जाएगा, यदि हितग्राही के अलावा कोई भी दूसरा व्यक्ति अकेला अथवा परिवार सहित रहता हुआ मिला, तो उसे व्यक्ति को बेदखल कर दिया जाएगा। हितग्राही के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा और आवंटित आवास राजसात कर लिया जाएगा।
अधिकारी कर्मचारियों के सरकारी आवास में भी अवैध किराएदार
यहां ध्यान देना जरूरी है कि अपराधी केवल गरीबों को आवंटित मकान में नहीं रहते। सरकारी अधिकारी और कर्मचारी को आवंटित किए गए सरकारी आवास में भी आपराधिक गतिविधियों के मामले प्रकाश में आ चुके हैं। अधिकारी अथवा कर्मचारी अपने नाम से सरकारी आवास आवंटित करवा लेते हैं। फिर उस आवास को अथवा उसके एक हिस्से को एक निश्चित किराए के बदले अथवा किसी अन्य लालच के चलते, किसी अन्य व्यक्ति को रहने के लिए दे देते हैं। बोलचाल की भाषा में इन्हें किराएदार कहते हैं परंतु मूल रूप से यह अवैध निवास है। सरकारी यदि अभियान चला ही रही है तो फिर सभी सरकारी आवासों के लिए एक साथ चलना चाहिए।
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