भारतीय परंपरा के अनुसार हरतालिका तीज के अवसर पर महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। रात्रि जागरण करती है और रात भर भगवान शिव और माता गौरी की पांच बार पूजा करती हैं। इस बार हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को और रात्रि जागरण 6 सितंबर से प्रारंभ होकर 7 सितंबर को पारण होगा, लेकिन इस बार सभी पांच पूजा रात्रि में नहीं होगी बल्कि 3 पूजा दिन में और 2 रात में होगी।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हरतालिका तीज 5 पूजा का मुहूर्त, तारीख एवं समय
भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए माता पार्वती ने कठोर तप किया। भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र को माता पार्वती ने बालू मिट्टी (रेत अथवा नदी की मिट्टी) से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की स्तुति में लीन होकर रात्रि जागरण किया। हरतालिका तीज की कथा का यह अंश सन 2024 को हरतालिका तीज का व्रत एवं समस्त पांच पूजा का मुहूर्त अनुसंधान करने के लिए आवश्यक है। माता पार्वती ने दिन के समय पूजा और रात्रि के समय जागरण किया था। इस बार भी ऐसा ही होगा।
हरतालिका तीज - तिथि एवं तारीख का अनुसंधान
- तीज तिथि का प्रारंभ दिनांक 5 सितंबर 2024 को दोपहर 12:21 बजे से होगा।
- तृतीया तिथि का समापन दिनांक 6 सितंबर 2024 को दोपहर 3:01 बजे होगा।
शैव संप्रदाय में तिथि का महत्व होता है। अतः शैव संप्रदाय के लोग 5 सितंबर को व्रत रखेंगे। रात्रि जागरण 5 सितंबर से प्रारंभ होगा और 6 सितंबर को संपन्न होगा। रात्रि के दौरान ही पांच प्रहर की पूजा होगी।
यहां बड़ी रोचक बात यह है कि, हरतालिका तीज को भगवान शिव की पूजा वैष्णव संप्रदाय की महिलाओं द्वारा की जाती है। वैष्णव संप्रदाय अर्थात ऐसे लोग जो भगवान विष्णु अथवा उनके अवतार श्री राम-कृष्ण इत्यादि की पूजा करते हैं। वैष्णव संप्रदाय का दूसरा अर्थ ऐसे गृहस्थ, जो सामाजिक हैं। इस अनुसार वे सभी लोग जो नगरों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। हिमालय आदि पर्वत अथवा किसी वन में एकांत में नहीं रहते हैं। समाज के साथ रहते हैं। वैष्णव संप्रदाय की मान्यता के अनुसार हरतालिका तीज का पूजन करेंगे। वैष्णव संप्रदाय में जिस स्थिति में सूर्य का उदय होता है, व्रत एवं त्योहार के लिए इस तिथि को मान्यता दी जाती है। इसके आधार पर हरतालिका तीज व्रत का प्रारंभ 6 सितंबर 2024 को ब्रह्म मुहूर्त से होगा। व्रत का पारण, रात्रि जागरण के बाद 7 सितंबर 2024 को ब्रह्म मुहूर्त में होगा।
हरतालिका तीज - पांच प्रहर की पूजा मुहूर्त का अनुसंधान
जैसा की सबसे पहले बताया गया है। माता पार्वती ने दिन में पूजा और रात्रि में जागरण किया था। इस वर्ष बिल्कुल वैसा ही योग बन रहा है। दिनांक 6 सितंबर को तृतीया तिथि दोपहर 3:00 बजे तक है। शास्त्रों में विधान है कि ऐसी स्थिति में अधिकतम 3 पूजा दिन के समय की जा सकती हैं और शेष 2 पूजा रात्रि जागरण के दौरान की जाएगी। इसमें से पांचवी पूजा चतुर्थी तिथि में होती है। तत्पश्चात ही व्रत का पारण होता है। शास्त्रों के उपरोक्त नियमों के अनुसार हरतालिका तीज पांच प्रहार की पूजा मुहूर्त इस प्रकार होगा।
- व्रत प्रारंभ ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04:30 से।
- प्रथम पूजा - प्रातः 04:53 से 06:02 तक।
- द्वितीय पूजा - अभिजित मुहूर्तः प्रातः 11:54 से दोपहर 12:44 तक।
- तृतीय पूजा - विजय मुहूर्त: दोपहर 02:25 से 03:15 तक।
- रात्रि जागरण के लिए एकत्रीकरण - शाम 06:36 से 07:45 के बीच।
- चतुर्थ पूजा - रात 11:56 से 12:42 के बीच अथवा रात 02:30 से 03:30 बजे के बीच।
- पंचम पूजा एवं व्रत का पारण - 7 सितंबर को सुबह 05 बजे या ब्रह्म मुहूर्त में।
विवाह योग्य कन्याओं के लिए हरतालिका तीज का व्रत
सौभाग्यवती स्त्रियां यदि दिन के समय 3 पूजा करने में सक्षम नहीं है तो कोई एक अथवा दो पूजा भी कर सकती है। शेष रात्रि के समय कर सकते हैं। रात्रि जागरण के लिए एकत्रीकरण मुहूर्त में भी पूजा की जा सकती है, लेकिन अविवाहित कन्याएं जो मनवांछित वर की प्राप्ति हेतु माता पार्वती की तरह हरतालिका तीज का फल प्राप्त करने के लिए कठिन निर्जला व्रत रख रही है। उन्हें उपरोक्त पूजा मुहूर्त 6 सितंबर को दोपहर 3:00 बजे से पहले तीन पूजा और रात्रि जागरण में दो पूजा) का पालन करना चाहिए।
डिस्क्लेमर - यह मुहूर्त अनुसंधान आचार्य कमलांशु द्वारा किया गया है। तथ्य एवं तर्क प्रस्तुत किए गए हैं। यदि आप आचार्य कमलांशु के शिष्य परिवार में नहीं है तो कृपया अपने कुलगुरु अथवा आचार्य से इसकी पुष्टि अवश्य करें एवं उनके मार्गदर्शन का पालन करें।