जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय जेल में गुरुवार की शाम आजीवन कारावास का एक कैदी शुक्रवार को जेल के भीतर से अचानक ही गायब हो गया। जेल प्रहरियों ने काफी देर तक उसे तलाश किया, इसके बाद भी जब वह नहीं मिला तो अलर्ट का अलार्म बजाया गया और फिर फरार कैदी को रात भर जेल के अंदर और बाहर तलाश की गई। अधिकारियों को भी शंका हो रही थी, कही कैदी भाग तो नहीं गया, जिसके बाद रात भर उसकी तलाश की गई। आखिरकार शुक्रवार की सुबह जेल के भीतर झाड़ियों में छिपे कैदी को पकड़ लिया गया। इस मामले में दो जेल प्रहरियों को सस्पेंड कर दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक कटनी जिले के कैमोर का रहने वाला आजीवन कारावास की सजा काट रहा कैदी रमेश कोल (32) 2014 में धारा 363, 366, 376 और पॉक्सो के अपराध में सजा काट रहा है। गुरुवार की शाम को कैदियों की गिनती की जा रही थी। इसी दौरान बैरक नंबर 9 में प्रहरी को एक कैदी कम मिला। जेल प्रहरियों ने बार-बार गिनती की तो पता चला कि रमेश नाम का कैदी बैरक में नहीं है। जानकारी जैसे ही जेल के वरिष्ठ अधिकारियों को लगी तो सभी के होश उड़ गए। ऐसा लगा कि कही कैदी रमेश जेल से फरार तो नहीं हो गया, तुरंत ही जेल का अलार्म बजाया गया। जेल के वरिष्ठ अधीक्षक सहित अन्य अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए और फिर सभी ने जेल का कोना-कोना छान मारा। रात भर तलाश करने के बाद शुक्रवार की सुबह झाड़ियों में मिलने के बाद जेल प्रबंधन ने राहत की सांस ली।
बलात्कार के मामले में मिली है आजीवन कारवास की सजा
2014 में बलात्कार के मामले में सजा काट रहा कैदी गुरुवार की रात को गिनती के समय जेल प्रहरियों की आंखों में धूल झोंकते हुए बेरक से गायब हो गए और आधा किलोमीटर दूर नई जेल तक पहुंच गया। यहां आने के बाद वह घनी झाड़ियां में जाकर छुप गया। जब एक कैदी के नहीं मिलने की जानकारी जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर को लगी तो वह भी अन्य अधिकारियों के साथ जेल पहुंचे और फिर गायब कैदी की तलाश शुरू कर दी। जेल अधिकारी अच्छे से जानते थे कि रमेश का यहां से भागना मुश्किल है, यही वजह है की जेल के भीतर भी जेल प्रहरी उसे तलाश करते रहे।
शुक्रवार की सुबह जब दिन निकला तो पता चला की नई जेल के पास झाड़ियां के बीच रमेश छुपकर बैठा हुआ था। रमेश को जेल प्रहरी ने पकड़ा और फिर जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर के समक्ष प्रस्तुत किया, जहां उसके खिलाफ सिविल लाइन थाने में धारा 264 के तहत एफआईआर दर्ज करवाई गई।
दो जेल प्रहरी सस्पेंड
इस मामले में जेल अधीक्षक ने प्रहरियों की लापरवाही माना है। इसलिए दो जेल प्रहरी सुरेन्द्र तुरकर और विजय गुप्ता को वरिष्ठ जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर ने निलंबित कर दिया है। जेल अधीक्षक का कहना है कि मुख्य जेल प्रहरी की ड्यूटी होती है कि जेल में हो रहे घटनाक्रम पर नजर रखे और अधिकारियों को इसकी जानकारी दे। बावजूद विजय गुप्ता और सुरेंद्र तुरकर ने अपने कार्य के प्रति लापरवाही बरती है।
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