मध्य प्रदेश में श्री शिवराज सिंह चौहान के शासनकाल में काफी पावरफुल रहे तीन अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दे दी गई है। EOW अपने 2013 में मामला दर्ज किया था। पूरे 11 साल बाद अभियोजन की स्वीकृति दी गई है।
शिवराज सिंह कार्यकाल में चौबे पावर में रहे थे
मामला मध्य प्रदेश की जल संसाधन विभाग का है। तत्कालीन प्रमुख अभियंता मदन गोपाल चौबे (एमजी चौबे) और कार्यपालन अधिकारी शिखर जैन के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दी गई है। इनके खिलाफ सन 2013 में मामला दर्ज किया गया था। मध्य प्रदेश शासन के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने अपनी जांच में पाया था कि इन अधिकारियों ने, करोड़ों के टेंडर में फर्जीवाड़ा कर गबन किया है। इसके बाद आज सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता एवं तत्कालीन प्रभारी प्रमुख अभियंता राजीव कुमार सुकलीकर के खिलाफ भी अभियोजन की स्वीकृति दे दी गई है। प्रशासनिक गलियारों में बताया जा रहा है कि, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में श्री मदन गोपाल चौबे काफी पावर में रहे थे।
संविदा नियुक्ति को लेकर चर्चाओं में रहे चौबे
एमजी चौबे प्रमुख अभियंता रहने के दौरान सेवानिवृत्त हुए। लेकिन राजय सरकार द्वारा बार-बार अनुभवी और वरिष्ठ होने के कारण सेवावृद्धि देती चली गई। बार-बार सेवा वृद्धि दिए जाने के कारण चौबे हमेशा चर्चा में रहते थे। कई बार कैबिनेट में जब चौबे को सेवावृद्धि देने का प्रस्ताव आता तो वरिष्ठ मंत्री आपत्ति भी लेते थे, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने, श्री चौबे के मामले में कभी किसी आपत्ति पर ध्यान नहीं दिया। कहा जाता है कि श्री राजीव कुमार, श्री चौबे की कृपा पात्र अधिकारी थे। इसलिए वह भी पावर में रहे।
डिपार्टमेंटल पॉलिटिक्स या कुनबे में कलह
घोटाले के मामले में मध्य प्रदेश का जल संसाधन विभाग, हमेशा सुर्खियों में रहा। कहा जाता है कि मध्य प्रदेश के जल संसाधन विभाग को एक कंपनी के द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस कंपनी को कोई भी परेशानी ना हो इसलिए, कंपनी की पसंद की अधिकारियों को पावर में रखा जाता है। चर्चा है कि श्री मदन गोपाल और श्री राजीव कुमार को इसी कंपनी के कहने पर पावरफुल पोजीशन पर बनाए रखा गया था। यहां तक की कार्रवाई देखकर लगता है कि, मध्य प्रदेश में सरकार बदल गई है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन बताया यह भी जा रहा है कि, इसी मामले में आरोपी एक अन्य अधिकारी को पावरफुल पोजीशन दे दी गई है और इस कंपनी को कुछ नहीं ठेके भी दिए गए। प्राथमिक मामलों पर नजर रखने वाले, कयास लग रहे हैं कि यह एस डिपार्टमेंट पर पॉलिटिक्स है या फिर ऊपर कुनबे में कलह चल रही है।
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