मध्य प्रदेश सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री कैलाश विजयवर्गीय के बयान की चर्चा पूरे मध्य प्रदेश में है। सभी लोग कैलाशवाणी के अपने-अपने भावार्थ निकल रहे हैं, लेकिन कुछ सवाल है, जो अधूरे हैं। श्री कैलाश विजयवर्गियों को इन सवालों के भी जवाब देने चाहिए।
कैलाशवाणी अर्थात कैलाश विजयवर्गीय का बयान पढ़िए
आपको लोकप्रिय होना है तो ऐसे निर्णय करो, आपकी लोकप्रियता बढ़े, भले ही वह निर्णय लोकहित में ना हो। कुछ निर्णय ऐसे होते हैं जो लोकहित में नहीं होते, और लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए कि हम अगला चुनाव जीत जाएं, सरकारें कर लेती हैं। भुगतना जनता को पड़ता है। बाकी लोगों को भी पड़ता है। सिर्फ कुर्सी प्राप्त करने के लिए आप इस प्रकार किसी राज्य को, एकदम, मैं कहूं कि आप राज्य के कपड़े उतार दें, यह तो नहीं होना चाहिए। और ऐसी योजनाओं का एक वर्ग विशेष को विरोध करना चाहिए। ऐसी आवाज बंद हो रही है। देश के लिए और समाज के लिए चिंता का विषय है।
कैलाशवाणी के पूर्व के घटनाक्रम और संदर्भ
कहा जाता है कि श्री कैलाश विजयवर्गीय, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के राजनीतिक गुरु हैं। उन्होंने ही डॉक्टर मोहन यादव को उज्जैन विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनवाया था। उन्होंने ही डॉक्टर मोहन यादव को विधानसभा का टिकट दिलवाया था। अब मोहन यादव सरकार में उनकी स्थिति "राजगुरु" जैसी नहीं है। डॉ मोहन यादव उनके साथ बिल्कुल वैसा ही व्यवहार कर रहे हैं जैसा की एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के साथ किया जाता है। पिछले दिनों एक आम सभा में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा था "जो कहता हूं ठोककर कहता हूं, जो करता हूं ठोककर करता हूं"। पार्टी में भी उन्हें कोई खास महत्व नहीं मिल रहा है। वीडी शर्मा और हितानंद शर्मा का जमाना चल रहा है। श्री नरेंद्र तोमर की तरह श्री कैलाश विजयवर्गीय भी हाशिए पर हैं। इंदौर कोर्ट में एक मामला चल रहा था। इसका भी अपना तनाव था।
श्री कैलाश विजयवर्गीय से कुछ महत्वपूर्ण सवाल
- अपनी बात पार्टी प्लेटफार्म पर क्यों नहीं रखी। अनुशासनहीनता क्यों की। एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री द्वारा टीवी चैनल पर आकर सरकार की कल्याणकारी योजनाओं पर सवाल उठाना, गंभीर अनुशासनहीनता है।
- लोग भले ही आपके बयान को किसी भी संदर्भ में शामिल करने की कोशिश करें परंतु आपने राज्य का नाम नहीं लिया इसलिए आपका बयान मध्य प्रदेश के संदर्भ में समझा जाएगा।
- अपने अपने बयान में देश की बात की है, तो क्यों ना आपके बयान को केंद्र सरकार के संदर्भ में समझा जाए।
- मध्य प्रदेश में लोकप्रियता के लिए सरकारी खजाने को लुटाने का काम पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने शुरू किया था और वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव इसे कंटिन्यू कर रहे हैं। क्या आप कहना चाहते हैं कि, यह दोनों नेता लोकप्रियता के लिए काम करते हैं, लोकहित के लिए नहीं।
- मध्य प्रदेश में सरकार के गठन के 9 महीने पूरे होने के बाद यह बयान क्यों दिया। क्या मुख्यमंत्री पर दबाव बनाना चाहते हैं या फिर केंद्रीय नेताओं पर दबाव बनाना चाहते हैं।
कुछ ध्यान देने वाली बातें
- श्री कैलाश विजयवर्गीय, जनता के हित में सर्वस्व दाव पर लगा दें, अथवा न्याय के लिए लड़ने वाले नेताओं में से तो नहीं है। ऐसे कई अवसर आए हैं, ऐसे कई उदाहरण है, जब श्री कैलाश विजयवर्गीय ने अपने लाभ के लिए अथवा पार्टी की मर्यादा के लिए, जनता के हित के मुद्दों की तरफ पीठ कर ली थी।
- हाल ही में एक कोर्ट केस में फरियादी और गवाह सब पलट गए। एक लड़के ने सबके सामने, अपने कर्तव्य पर उपस्थित एक व्यक्ति को पीटा। इस घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है। इसके बावजूद मध्य प्रदेश सरकार, कोर्ट में कमजोर पड़ गई। मजबूर और कोर्ट को, उसे लड़के को दोष मुक्त घोषित करना पड़ा। इस घटना पर श्री कैलाश विजयवर्गीय ने क्यों नहीं कहा कि, एक वर्ग विशेष को इस प्रकार के दबाव के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। इस प्रकार का प्रेशर देश और समाज के लिए अच्छा नहीं है।
- कुछ और भी बातें हैं, पुष्टि के अभाव में जिनका उल्लेख नहीं किया जा सकता, परंतु कुछ लोग बड़े दावे के साथ कर रहे हैं। क्या इस बयान के पीछे वह कारण भी हो सकते हैं।
- कृपया बंसल टीवी के उसे इंटरव्यू को ध्यान से देखिए। आपको समझ में आएगा कि, सब कुछ बातचीत के दौरान अचानक नहीं हुआ था। बयान के लिए सवाल तैयार किया गया था। उनके बयान को प्रसारित करने से पहले एडिट किया गया। बीच में उन्होंने ऐसा क्या बोल दिया था जिसे हटाना पड़ा।
- वैसे भी श्री कैलाश विजयवर्गीय इस प्रकार के इंटरव्यू से दूर रहते हैं। फिर क्या कारण है कि अपने व्यस्त समय में से उन्होंने इतना सारा समय खर्च कर दिया।
- क्या कारण है कि उन्होंने श्री शरद द्विवेदी जैसे सौम्य और संतुलित पत्रकार को इस प्रकार का बयान देने के लिए आमंत्रित किया। किसी ऐसे पत्रकार को क्यों नहीं बुलाया जो तीखे प्रतिप्रश्न करता है।
- क्या इस बयान के बाद उठ रहे सवालों के जवाब देने के लिए श्री कैलाश विजयवर्गीय कोई प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करेंगे।
क्या संग्राम शुरू होने वाला है
मध्य प्रदेश की मेमोरी कमजोर है परंतु खराब नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के साथ श्री कैलाश विजयवर्गीय के घनिष्ठ संबंध सबको पता है। उन दिनों में बड़े अजीब इत्तेफाक होते थे। जो पत्रकार श्री कैलाश विजयवर्गीय के बंगले से बाहर निकलता था। कुछ दिनों बाद उसके पास एक ऐसी ब्रेकिंग न्यूज़ होती थी जो पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के सर में दर्द का कारण बन जाती थी। हालांकि इस बार ऐसा नहीं हुआ है। इस बार श्री कैलाश विजयवर्गीय, स्वयं मोर्चे पर आकर खड़े हो गए हैं। उनके निशाने पर राज्य सरकार है या केंद्र सरकार, राज्य का संगठन है या फिर केंद्र का संगठन, यह तो वही जाने परंतु कुछ तो गड़बड़ है दया, पता करो क्या संग्राम शुरू होने वाला है। ✒ उपदेश अवस्थी।