मुख्यमंत्री से लेकर सांसद तक प्रत्येक प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव और उपचुनाव हार चुके, कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाए गए, पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व सांसद और छिंदवाड़ा विधायक कमलनाथ जिद पकड़ कर बैठे हैं कि मध्य प्रदेश की ही राजनीति करूंगा। कुछ मामलों का खुलासा कर रहे हैं। कुछ घटनाओं को हैडलाइंस तक ला रहे हैं। एक तरफ मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को तनाव दे रहे हैं और दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को सीधी टक्कर दे रहे हैं। 77 साल की उम्र, इतनी बार हार जाने के बाद भी, लड़ने के लिए खड़े हो जाना, बड़ी बात है।
समर्थक शिफ्ट हो गए, अंधेरे में भी मिलने नहीं आए
छिंदवाड़ा से लोकसभा और फिर अमरवाड़ा से विधानसभा चुनाव हारने के बाद यह मान लिया गया था कि कमलनाथ वापस दिल्ली चले जाएंगे। वैसे भी उनके 40 साल पुराने मित्र दिग्विजय सिंह ने उनकी कुर्सी के चारों पाए तोड़ दिए हैं। बच्चों की लड़ाई कुछ देर के बाद खत्म हो जाती है परंतु जब बूढ़े लड़ बैठते हैं, तो फिर पीढ़ियों तक संघर्ष चलता है। शायद कमलनाथ के बारे में यही बात फिट बैठती है। उन्हें चुनाव हार जाने से ज्यादा दुख इस बात का है कि वह मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के भीतर दिग्विजय सिंह से हार गए। लोग चुपके-चुपके फोन किया करते थे। उसी कॉन्फिडेंस में कमलनाथ रक्षाबंधन से पहले भोपाल आ गए।
सोचा था पहले की तरह धमाकेदार एंट्री होगी। PR वालों ने एक टूल किट दी थी। आने से पहले इस प्रकार के समाचार और मैसेज वायरल किए जाने थे, जैसे कांग्रेस पार्टी की हालत खराब है और मसीहा आ गया है। जाने के बाद इस प्रकार के समाचार और मैसेज वायरल किए जाने थे, जैसे हजारों लाखों कार्यकर्ताओं ने कमलनाथ से निवेदन किया है कि वह कांग्रेस पार्टी की बागडोर संभालें। जिन लोगों ने कमलनाथ के लेटेस्ट अपडेट प्राप्त नहीं किए, उन्होंने इस प्रकार के मैसेज और समाचार पब्लिश भी कर दिए, लेकिन एक्चुअल में कमलनाथ की यह यात्रा पूरी तरह से फ्लॉप हो गई थी। जो लोग चुपके-चुपके फोन किया करते थे, वह अंधेरे में भी मिलने नहीं आए।
टीम तो अब भी मजबूत
समर्थक शिफ्ट हो गए तो क्या हुआ, कमलनाथ की टीम अभी भी काफी मजबूत है। कमलनाथ के लिए पूरी सक्रियता से कम कर रही है। शायद पैकेज कुछ काम हो गया है परंतु काम की क्वालिटी अच्छी हो गई है। पहले जय-जय कमलनाथ करने वाले अब जनता की आवाज बनने की कोशिश करने लगे हैं। जनता से जुड़े मुद्दे उठाए जा रहे हैं। आज एक आदिवासी की मृत्यु का मामला उठाया गया है। कमलनाथ ने अपने X हैंडल से बड़ा ही मार्मिक वीडियो पोस्ट किया है। डेड बॉडी के पास उसके परिवार वाले बैठकर विलाप कर रहे हैं। सुबह के समय यह दृश्य विचलित कर देता है। शायद कमलनाथ समझ चुके हैं कि, मध्य प्रदेश की पॉलिटिक्स के डिजाइन में कोई चेंज नहीं किया जा सकता लेकिन कुछ सिंपल से फार्मूले हैं, जिनको यूज करके मध्य प्रदेश की पॉलिटिक्स के डिजाइन में फिट हुआ जा सकता है।
कमलनाथ बदल गए
पिछले कुछ दिनों में कमलनाथ का एक नया चेहरा सामने आया है। अब " मैं महान, में ही भगवान" वाला अहंकार दिखाई नहीं दे रहा है। मध्य प्रदेश में जैसे विपक्षी पार्टी के नेता सरकार की घंटी बजाते हैं। कमलनाथ बिल्कुल वैसे ही काम कर रहे हैं। यह बात और है कि, उनकी सक्रियता के कारण सरकार कम और इंदिरा भवन ज्यादा तनाव में है। ✒ उपदेश अवस्थी।
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