" मेहमान हो तो क्या घर पर कब्जा कर लोगे" इस बयान के साथ पूरे भारत भर में आलोचना का केंद्र बने मध्य प्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री श्री उदय प्रताप सिंह का एक नया बयान सामने आया है। उन्होंने नरसिंहपुर में दो टीवी पत्रकारों को अपने घर बुलाकर इस मामले में स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया है। शायद वह सभी पत्रकारों के सवालों का सामना नहीं करना चाहते थे। कहा जा रहा है कि उन्होंने अपने बयान पर माफी मांग ली है।
सबसे पहले पढ़िए, शिक्षा मंत्री का नया बयान
अतिथि, नाम से पदनाम से अतिथि है वह, बाकी जो प्राथमिकताएं हैं हम दे सकते हैं। इसके बाद भी, हमारे मध्य प्रदेश के बच्चे हैं, हमारे अपने बच्चे हैं, कहीं कोई भी विसंगति नहीं है, और मैंने कहा भी। हमारे बच्चों को, अतिथियों को जिन्होंने शिक्षण व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया, अगर उनको तकलीफ हो, तो स्वाभाविक रूप से हमारे प्रदेश के बच्चे हैं, हमारे अतिथि शिक्षक हैं, हमारे अपने हैं वह, उनको यदि तकलीफ हुई तो मैं खेद व्यक्त करता हूं। इसमें कहीं कोई संकोच नहीं है। कोई संशय नहीं है, और अपनों के बीच में, किसी किस्म की कोई विसंगति नहीं होनी चाहिए। बिल्कुल स्पष्ट है कि हमारी प्राथमिकता के क्रम में वह हैं। किसी किस्म के कन्फ्यूजन की आवश्यकता नहीं है। हमारी प्राथमिकता के क्रम में जब हमने उनको रखा है, और लगातार हम उनका काम कर रहे हैं, उनकी पेचीदगियों को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। इससे अधिक विभाग क्या कर सकता है। 55000 के लगभग अतिथि शिक्षक लगे हुए हैं, और बीच-बीच में निकल जाते थे। हमने वित्त विभाग को भेजा है कि, अतिथि यदि एक बार लग जाता है तो कम से काम पूरा सेशन उससे काम कराया जाए। बीच में निकलने से रोजगार की समस्या पैदा होती है।
शिक्षा मंत्री के बयान के अर्थ
- उन्होंने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि अतिथि शिक्षक मतलब अतिथि हैं, नियमितीकरण पर कोई विचार नहीं होगा।
- बयान के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि अतिथि शिक्षकों की सेवाओं की परिचित किया दूर करने की कोशिश कर रहे हैं, इतना काफी है। इससे ज्यादा नहीं कर सकते।
- बयान में यह भी बताएं कि हमने वित्त विभाग को कहा है कि उनकी सेवाएं बीच सत्र में समाप्त नहीं करें।
(पता नहीं मंत्री महोदय को किसने बता दिया कि बीच सत्र में सेवा समाप्ति का काम वित्त विभाग करता है)।
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