मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नजदीक रायसेन जिले की उदयपुर तहसील के देवरी नगर में संचालित अभिनव गरिमा विद्या निकेतन हायर सेकेंडरी स्कूल की मान्यता खतरे में पड़ गई है। जिला शिक्षा अधिकारी ने नोटिस थमा दिया है। स्कूल संचालक का अपराध यह है कि उसने शिक्षक दिवस समारोह के निमंत्रण पत्र पर स्थानीय सांसद का नाम ऊपर लिख दिया और स्थानीय विधायक का नाम नीचे। जबकि स्थानीय विधायक, मध्य प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री भी है।
अपना नाम दूसरी लाइन में देखकर राज्य मंत्री महोदय तमतमा उठे
दिनांक 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर अभिनव गरिमा विद्या निकेतन हायर सेकंडरी स्कूल, देवरी, जिला रायसेन में शिक्षक सम्मान समारोह आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में दो मुख्य अतिथि बनाए गए। नर्मदापुरम सांसद दर्शन सिंह चौधरी और राज्य मंत्री व क्षेत्रीय विधायक नरेंद्र शिवाजी पटेल। आमंत्रण पत्र पर सांसद दर्शन सिंह का नाम पहली लाइन में और स्थानीय विधायक एवं राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल का नाम दूसरी लाइन में लिखा गया। अपना नाम दूसरी लाइन में देखकर राज्य मंत्री महोदय तमतमा उठे।
राज्य मंत्री का गुस्सा देखा
नाराजगी इतनी अधिक थी कि, इसके लिए सरकारी तंत्र का उपयोग कर लिया गया। जिला शिक्षा अधिकारी डीडी रजक ने आमंत्रण पत्र पर राज्य मंत्री का नाम, संसद के बाद लेकर जाने को गंभीर अपराध माना है। स्कूल संचालक को नोटिस दिया गया है। नोटिस में स्कूल की मान्यता निरस्त कर देने की चेतावनी दी गई है। रायसेन डीईओ डीडी रजक ने बताया कि स्कूल प्रबंधन ने आमंत्रण कार्ड पर मंत्री जी के प्रोटोकॉल का ध्यान न रखते हुए उनका नाम सांसद से पीछे प्रिंट कर दिया। उनसे अनुमति भी ली नहीं गई थी। इसे लेकर आपत्ति आई थी। मंत्री जी नाराज थे। इस कारण कार्यक्रम में नहीं गए। मंत्री जी के पीए से बात हुई थी। उन्होंने कहा था कि इस तरह नहीं छपवाना चाहिए। आपके शिक्षा विभाग के लोग क्या कर रहे हैं।
सांसद ने कहा: इतनी बड़ी बात नहीं है
जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि स्कूल की तरफ से माफीनामा आ गया है। उन्होंने कहा है कि प्रोटोकॉल के बारे में नहीं जानते थे। भविष्य में गलती नहीं करेंगे। मामले में नर्मदापुरम सांसद दर्शन सिंह चौधरी का कहना है, ‘मैं स्कूल में कार्यक्रम में गया था। नोटिस की जानकारी नहीं है। मैं दिखवाता हूं। नाम पहले बाद में होने की कोई बड़ी बात नहीं है। हम सब आपस में एक हैं। किसी भी प्रकार की कलह हमारे बीच में नहीं है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं
भारतीय जनता पार्टी संगठन और प्रशासनिक मामलों की समझ रखने वाले संगठन मंत्री स्तर के भाजपा नेता ने बताया कि, प्रोटोकॉल के हिसाब से राज्य मंत्री को सांसद से पहले सम्मान देना चाहिए। प्रोटोकॉल की उलझन पर दंड का क्या प्रावधान है, इसकी विस्तृत जानकारी नहीं है। दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के एक वरिष्ठ आईएएस ऑफिसर (रिटा) ने अपनी प्रतिक्रिया में "Not much of a violation" लिखा है। इसका हिंदी अर्थ होता है, कोई खास उल्लंघन नहीं।
राज्य मंत्री का अहंकार या कहीं ऐसा तो नहीं
इस पूरी घटनाक्रम से दो बड़े सवाल उपस्थित होते हैं। यह घटनाक्रम राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल के अहंकार का परिणाम है अथवा भाजपा नेताओं के बीच में अब इतना ज्यादा तनाव पैदा हो गया है कि, एक नेता दूसरे नेता को पब्लिक से दूर करने के लिए इस लेवल की पॉलिटिक्स करने लगा है। प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ है परंतु क्या प्रोटोकॉल के इस उल्लंघन के कारण स्कूल की मान्यता समाप्त की जा सकती है।
"आपका सेवक आपके द्वारा" कार्यक्रम चला कर अपने मतदाताओं के चरणों में बैठने वाला स्थानीय विधायक एवं भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता, क्या राज्य मंत्री बनने के बाद इतना अहंकारी हो गया है कि, अपनी ही पार्टी के सांसद को सम्मान देने वाले के पीछे पड़ जाए।
कहीं ऐसा तो नहीं कि स्थानीय सांसद ने, स्थानीय विधायक के निर्वाचन क्षेत्र में इतना ज्यादा दखल दे रखा है कि, अपनी आजादी और अधिकार के लिए स्थानीय विधायक को अपने राज्य मंत्री वाले पद का दुरुपयोग करना पड़ा। जिस गलती को नजरअंदाज किया जाना चाहिए था। मौखिक चेतावनी देकर छोड़ दिया जाना चाहिए था। कार्यक्रम से पहले गलती को ठीक कराया जा सकता था। उसके लिए विभागीय नोटिस जारी करवाया गया। मुद्दा बना दिया।
कहीं ऐसा तो नहीं
कहीं ऐसा तो नहीं कि नरेंद्र शिवाजी पटेल चाहते थे, पार्टी के नेतृत्व का ध्यान इस तरफ जाए। उन्हें और सांसद को बुलाकर बातचीत की जाए। कुछ उलझ गया है, जिसे सुलझाया जाए। पार्टी सुनने को तैयार नहीं थी इसलिए उंगली टेढ़ी करनी पड़ी। ✒ उपदेश अवस्थी।
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