मध्य प्रदेश शासन, स्कूल शिक्षा विभाग की शालाओं में आवश्यकता से अधिक स्वीकृत पद से अधिक शिक्षक और विद्यार्थियों की दर्ज़ संख्या के अनुपात में अधिक शिक्षक जिन शालाओं में पदस्थ थे उनको हटाने के लिए अतिशेष शिक्षकों प्रक्रिया आनलाइन काउंसलिंग के माध्यम से सम्पन्न हुई। जिसे प्रत्येक जिले में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा सम्पादित किया गया।
पांढुर्ना में समाधान की समस्या बन गया
एनएमओपीएस के प्रांतीय सचिव रमेश पाटिल का कहना है कि, अतिशेष शिक्षकों को हटाने और शिक्षकों की कमी वाली शाला में नियुक्ति देने में विभागीय पोर्टल अपडेट न होने के कारण भारी गड़बड़ी हुई। पांढुरना जिले में ऐसी कुछ शालाएं है जहां पहले से पर्याप्त शिक्षक हैं, वहां अतिरिक्त शिक्षक की नियुक्ति कर पुनः अतिशेष शिक्षकों की स्थिति बना दी गई है। जिससे वहां पूर्व से पदस्थ शिक्षकों पर भविष्य में अतिशेष शिक्षक होने का खतरा मंडराने लगा है। कुछ शालाएं ऐसी भी हैं जहां शिक्षक मृत्यु या स्थानांतरण के कारण पदस्थ न होने के बावजूद पदस्थ दिखाया जा रहा है जिससे इन शालाओं में शिक्षकों की कमी पूरी नहीं हो पाई है। पांढुरना विकासखण्ड में शासकीय प्राथमिक शाला बिछुआ साहनी, शासकीय प्राथमिक शाला लेहरा अन्य शालाओं के साथ ऐसी ही कुछ शालाएं है जहां अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग के पश्चात अतिशेष की स्थिति बन गई है।
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से गड़बड़ी हुई
अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग के पूर्व संकुल प्राचार्यो से पोर्टल में प्रदर्शित शिक्षकों की यथास्थिति जानने अपने-अपने संकुल की शालाओं में पदस्थ शिक्षकों की जानकारी मांगी गई थी। संकुल प्राचार्यों द्वारा पोर्टल में प्रदर्शित त्रृटियों से डीईओ कार्यालय को लिखित में अवगत करा दिया गया था। जिसे अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग के पूर्व डीईओ कार्यालय द्वारा पोर्टल में संकुल प्राचार्यों की जानकारी के आधार पर सुधार कर अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग करनी चाहिए थी, लेकिन पोर्टल में सुधार किए बिना हड़बड़ी में अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग कर दी गई। जिससे कुछ शालाओं में स्वीकृत पद और छात्र संख्या अनुपात से अधिक शिक्षकों के आदेश नियुक्ति हेतु कर दिए गए और शिक्षकों की कमी वाली शालाओं में शिक्षकों की नियुक्ति ही नहीं हो पाई।
संकुल प्राचार्य द्वारा ऐसी स्थिति की ओर डीईओ कार्यालय का ध्यान आकर्षित किया जा रहा है। जब तक सुधार प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक शिक्षकों से अभावग्रस्त शालाओं में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पायेगी और जिन शालाओं में अतिशेष प्रक्रिया से अधिक शिक्षक नियुक्त हो गये है वहां पूर्व से पदस्थ शिक्षक बगैर किसी दोष के परेशान होते रहेंगे।
टीडब्ल्यूटीए के प्रांतीय मीडिया प्रभारी हीरानंद नरवरिया एवं एनएमओपीएस के प्रांतीय सचिव रमेश पाटिल ने बताया की अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग के माध्यम से हुई नियुक्तियों में सम्पूर्ण प्रदेश से विसंगतियों को लेकर शिकायतें प्राप्त हो रही है। अतिशेष शिक्षक पोर्टल अपडेट न होने के कारण अपनी पसंद की शाला का ठीक से चयन नहीं कर पाए। कुछ शालाओं में जहां नियुक्ति हुई वहां पुनः अतिशेष की स्थिति बन गई है।
हीरानंद नरवरिया एवं रमेश पाटिल ने अधिकारियों से मांग की है कि जिन अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग के माध्यम से नवीन शालाओं में नियुक्ति से अतिशेष की स्थिति बन रही है उन शिक्षकों के नियुक्ति आदेश में संशोधन या पुनः काउंसलिंग कर शिक्षकों की कमी वाली शालाओं में पदस्थ किया जाना चाहिए साथ ही पोर्टल भी अपडेट किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति न बने।
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