बागेश्वर वाले बाबा श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री घोषित रूप से हिंदू राष्ट्र के संकल्प को दोहराते हैं, जो भारतीय जनता पार्टी का भी एजेंडा है। जबकि कांग्रेस पार्टी इस संकल्पना का कट्टर विरोध करती है। इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता श्री कमलनाथ ने बागेश्वर धाम जाकर श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से एक बार फिर मुलाकात की। पब्लिक जानना चाहती है कि इस मुलाकात के मायने क्या है। क्या श्री कमलनाथ, बागेश्वर धाम वाले बाबा के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी से संपर्क करने का प्रयास कर रहे हैं। यहां उल्लेख करना जरूरी है कि आजादी के बाद से लेकर अब तक भारतीय राजनीति में बिगड़े रिश्तों को बनाने के लिए या फिर शत्रु दोष के बाद भी पर्दे के पीछे वाली मैत्री करवाने के लिए बाबाओं ने हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अनिल अंबानी के शेयर्स की तरह ALL TIME LOW पर चल रहे हैं कमलनाथ
छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता श्री कमलनाथ की स्थिति बिल्कुल वैसी ही है जैसी कुछ वर्ष पहले शेयर मार्केट में अनिल अंबानी की कंपनियों के शेयर्स की थी। बाजार के बादशाह बने हुए थे, ALL TIME HIGH पर चल रहे थे परंतु एक के बाद एक कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए कि अनिल अंबानी की कंपनियों के शेयर्स लगातार डाउन होते चले गए। कमलनाथ भी कांग्रेस पार्टी के अंदर ALL TIME HIGH पर चल रहे थे। उनके परामर्श के बिना गांधी परिवार में फूलों का गुलदस्ता भी नहीं आता था और आज स्थिति यह है कि छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव हारने के बाद अपनी ही कांग्रेस पार्टी में ALL TIME LOW पर चल रहे हैं। उनके अपने समर्थक भी उन्हें शक की नजर से देखते हैं क्या पता अगले चुनाव में टिकट दिलवा पाएंगे या नहीं। एक दिन पहले अपने घर शिकारपुर में अपने समर्थकों की मीटिंग आयोजित की थी। पता नहीं उसमें ऐसा क्या हुआ कि उसके बाद सीधे बागेश्वर धाम चले आए।
भाजपा के संपर्क में क्यों जाना चाहते हैं कमलनाथ
दरअसल, कमलनाथ व्यक्तित्व नहीं बल्कि व्यक्तिगत विकास में विश्वास करते हैं। कांग्रेस पार्टी में भी हाई कमान के नजदीकी इसलिए थे क्योंकि गांधी परिवार के व्यक्तिगत विकास में योगदान दिया करते थे। वर्तमान में सिर्फ एक विधायक है लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री से ज्यादा व्यस्त रहते हैं। उनके नाम पर एक गुमास्ता लाइसेंस तक नहीं है लेकिन परिवार की 20 से ज्यादा कंपनियों का भार उनके अपने कंधों पर है। जैसे बाबा रामदेव और पतंजलि का कोई रिश्ता नहीं है परंतु पतंजलि की पहचान बाबा रामदेव है ठीक उसी प्रकार सरकारी विभागों में परिवार और रिश्तेदारों की मिलाकर लगभग 25 कंपनियों की पहचान कमलनाथ हैं। जैसे काले धन के मामले पर भाजपा सरकार कुछ करें या ना करें, उसके साथ रहना बाबा रामदेव की मजबूरी है। ठीक उसी प्रकार पार्टी कोई भी हो लेकिन सरकार के संपर्क में रहना कमलनाथ की मजबूरी है।
अब बस एजेंसी का आना बाकी है
जब तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर श्री शिवराज सिंह चौहान विराजमान थे, तब तक श्री कमलनाथ को कोई चिंता नहीं थी परंतु अब डॉ मोहन यादव की सरकार है। श्री कमलनाथ, भाजपा में शामिल होने की एक बहुचर्चित असफल कोशिश कर चुके हैं। अब चाहते हैं कि कम से कम संबंध बना रहे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो कुछ भी गड़बड़ हो सकती है। किसी शीर्ष नेता के साथ राजनीति में जितना भी बुरा हो सकता था, कमलनाथ के साथ वह सब कुछ हो चुका है। बस अब एजेंसी का आना बाकी है। ✒ उपदेश अवस्थी।