योगिता रघुवंशी की प्राथमिक शिक्षक के रूप में, खंडवा जिले, में EWS कैटेगरी में नियुक्ति दिनांक 10/08/23 को हुई थी। स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देशों के अनुसार, ईडब्ल्यूएस श्रेणी का विकल्प भरने वाले अभ्यर्थी यदि, ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट प्रस्तुत नही कर पाएं हैं, उस परिस्थिति में यदि उसके अंक, अनारक्षित श्रेणी में शामिल होने हेतु, क्वालीफाइंग मार्क्स के न्यूनतम है, उसका चयन अनारक्षित श्रेणी में किया जाकर, उसकी नियुक्ति अनारक्षित श्रेणी में की जायेगी। दूसरे शब्दो मे, ईडब्ल्यूएस श्रेणी के उम्मीदवार शिक्षक पात्रता परीक्षा के अंकों के आधार, अनारक्षित श्रेणी में चयनित कर, प्राथमिक शिक्षक नियुक्त किए जायेंगे।
योगिता रघुवंशी प्राथमिक शिक्षक बनाम स्कूल शिक्षा विभाग
योगिता रघुवंशी की श्रेणी, शिक्षक पात्रता परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार अनारक्षित होनी थी, परंतु विभाग की गलती से उनकी नियुक्ति ईडब्ल्यूएस श्रेणी में खण्डवा जिले में, 10/08/24 को कर दी गई। योगिता रघुवंशी द्वारा अभ्यावेदन प्रस्तुत कर विभाग का ध्यान विसंगति की ओर आकृष्ट किया किया गया था। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संशोधित नियुक्ति आदेश दिनांक 05/10/23 जारी किया गया था एवम उनकी नियुक्ति प्राइमरी स्कूल टीचर, रायसेन जिले में की गई थी।
प्राइमरी टीचर की नियुक्ति हेतु, सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीएड डिग्री को वैध नहीं माना गया परंतु सुप्रीम कोर्ट, न्यायहित में उनके द्वारा जारी आदेश दिनांक 11/08/27 को भविष्य लक्षी माना गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, 11/08/23 के पूर्व नियुक्त प्राथमिक शिक्षक सेवा मुक्त नही होंगे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा, दिनांक 28/8/24, को सभी जिला शिक्षा अधिकारियो को निर्देश जारी कर गया था, कि 11/08/28 के पूर्व बीएड के आधार पर नियुक्त प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त की जावे। आयुक्त लोक शिक्षण के आदेश के पालन में, डीईओ रायसेन द्वारा योगिता रघुवंशी को दिनांक 02/09/24 को टर्मिनेट कर दिया गया था।
प्राथमिक शिक्षक द्वारा अपने टर्मिनेशन दिनांक 02/09/24 को हाई कोर्ट जबलपुर में चुनौती दी गई थी। शिक्षक की ओर से पैरोकार अधिवक्ता हाई कोर्ट जबलपुर, अमित चतुर्वेदी ने, कोर्ट में शिक्षक का पक्ष रखते हुए, बताया की सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेश दिनांक 11/08/24 की गलत व्याख्या कर, शिक्षक की सेवाएं टर्मिनेट की गईं हैं। वस्तुतः, योगिता रघुवंशी की नियुक्ति 10/08/24 को कर दी गई थी। दिनांक 05/10/24 को जारी दूसरा नियुक्ति आदेश केवल संशोधन आदेश है। अतः प्राथमिक शिक्षक, की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के आदेश से संरक्षित है। विभाग की गलती का दंड, सेवा समाप्त कर शिक्षक को नही दी जाएं।
अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी के तर्को से सहमत होकर उच्च न्यायालय जबलपुर की एकल पीठ ने, आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी आदेश 28/08/24 एवम डीईओ रायसेन द्वारा जारी टर्मिनेशन, आदेश दिनांक 02/09/24 को स्टे कर दिया है एवम प्राथमिक शिक्षक को पुनः ज्वाइन करने की अनुमति दी है। शासन से जवाब भी तलब किया गया है।
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