SHREE GANESHA SPECIAL FACTS 02 - श्री गणेश के बारे में स्पेशल फैक्ट्स पढ़िए

Bhopal Samachar
धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार श्री गणेश और प्रकृति का गहरा संबंध है जो कि श्री गणेश की प्रतिमाओं में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। भगवान श्री गणेश की प्रिय वस्तुओं में दूर्वा, गुड़हल का फूल, केले, कबीट, जामुन, केसर, मोदक आदि और इन सभी चीजों का संबंध प्रकृति से है। और दूर्वा तो भगवान श्री गणेश को कुछ ज्यादा ही पसंद है। दूर्वा का हरा रंग भगवान श्री गणेश के प्रकृति प्रेम को स्पष्ट रूप से उजागर करता है। तो चलिए आज 1 मिनट से भी कम समय में इसी के पीछे का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण पता लगाने की कोशिश करते हैं :- 

श्रीगणेश को दूर्वा- पौराणिक कथा- MYTHOLOGICAL REASON

भारतीय पूजा पद्धति में प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश को दूर्वा अर्पित करने का विधान निर्धारित किया गया है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा का वर्णन भी है परंतु हम सब जानते हैं कि इस प्रकार की परंपराओं के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण भी होता है। आइए जानते हैं कि भगवान श्रीगणेश को दूर्वा अर्पित करने का वैज्ञानिक कारण क्या है। अनलासुर नामक एक दैत्य, ऋषि-मुनियों को जीवित निगल जाता था। ऋषि मुनियों की रक्षा करने एवं राक्षस को दंडित करने के लिए भगवान श्री गणेश ने अनलासुर राक्षस को ही जीवित निगल लिया। जिसके कारण उनके पेट में जलन होने लगी। तब कश्यप ऋषि ने उन्हें दूर्वा घास अर्पित की जिसके कारण उनके पेट में जलन शांत हो गई। तब से धर्म परायण मनुष्यों की रक्षा करने वाले भगवान श्री गणेश को हरी दूर्वा घास अर्पित करने की परंपरा स्थापित हुई। 

श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाने का वैज्ञानिक कारण - SCIENTIFIC REASON

भगवान श्री गणेश का मुख हाथी से लिया गया है। हाथी को हरी घास बेहद पसंद होती है क्योंकि वह आसानी से पच जाती है। वैज्ञानिक लैब में टेस्ट करने पर पाया गया है कि दूर्वा में सेलूलोज़ (एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट) बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रोटीन, फाइबर, विटामिन्स, मिनरल्स जैसे न्यूट्रिअन्ट्स भी पाए जाते हैं। जो ना केवल अत्यधिक भूख को शांत करते हैं, बल्कि पेट में होने वाली ऐसिडीटी (जलन/अम्लीयता) को भी खत्म करते हैं। दूर्वा घास इस पृथ्वी पर मौजूद सबसे उत्तम एंटासिड (Antacid; प्रतिअम्ल) है, क्योंकि दूर्वा में प्राकृतिक रूप से कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम पाए जाते हैं, जो कि किसी भी एंटासिड को बनाने के लिए जरूरी कॉम्पोनेंट्स है। जिसका आविष्कार कश्यप ऋषि द्वारा किया गया।

श्री गणेश द्वारा दूर्वा को पचाने का जीववैज्ञानिक कारण - BIOLOGICAL REASON BEHIND DURVA

भगवान श्री गणेश का मुख हाथी से लिया गया है और हाथी एक जानवर है जो की सैलूलोज (CELLULOSE) का पाचन बड़ी ही आसानी से कर सकता है। इसी कारण भगवान श्री गणेश को दूर्वा उनकी सूंड के पास ही अर्पित करना चाहिए, जिससे कि इसे खाने और पचाने में आसानी होगी और यदि आप भगवान श्री गणेश पेट की ज्वाला को शांत करेंगे क तभी तो उनका दिमाग भी शांत होगा और तभी तो वह आपको बुद्धि का वरदान दे सकेंगे। इसी कारण विद्यार्थियों को विशेष रूप से भगवान श्री गणेश को दूर्वा चढ़ाने के लिए कहा जाता है। 

INTELLIGENCE OF KASHYAP RISHI

भारतीय नागरिक शिक्षित नहीं थे और विज्ञान को भी स्वीकार नहीं करते थे, लेकिन धर्म के प्रति उनकी प्रगाढ़ आस्था थी। अतः कश्यप ऋषि ने भगवान श्री गणेश को (जिन्हें भोजन अत्यंत प्रिय है और जिनका पेट बड़ा है) हरी दूर्वा घास अर्पित करके यह प्रतिस्थापित किया कि अत्यधिक और असहनीय एसिडिटी होने पर भी दूर्वा घास उसे तत्काल शांत करने की क्षमता रखती है। यदि आप कोई ऐसी चीज खा लेते हैं जिसका पाचन लगभग असंभव है वह भी हरी दूर्वा के कारण पच जाती है। 

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