BHOPAL में अतिथि शिक्षकों के खिलाफ FIR, रात में लाइट बंद करके लाठी चार्ज किया था - NEWS TODAY

Bhopal Samachar
कमजोर संगठन और जीतू पटवारी को अपना नेता घोषित कर देने के कारण अतिथि शिक्षकों का आंदोलन 24 घंटे के भीतर खत्म हो गया। बुधवार शाम 7:00 बजे भोपाल पुलिस ने सबसे पहले लाठी के जोर पर अंबेडकर पार्क खाली करवाया और फिर TT NAGAR पुलिस थाने में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। 

कमजोर संगठन के कारण आंदोलन बिखर गया 

नियमतिकरण की मांग को लेकर 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन हजारों अतिथि शिक्षक भोपाल में एकत्रित हुए थे। अंबेडकर पार्क में अतिथि शिक्षकों ने आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया था। 2 अक्टूबर को दिन भर जमकर बवाल हुआ। अतिथि शिक्षक सीएम हाउस की ओर जाने के लिए अड़े रहे, लेकिन पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर अतिथियों को रोके रखा। पुलिस ने बैरिकेडिंग कर प्रदर्शनकारियों को रोका तो वो सड़क पर ही बैठ गए। रात 8 बजे तक सड़क पर नारेबाजी और अतिथि शिक्षकों का प्रदर्शन चलता रहा। 2 अक्टूबर को जहां भोपाल के अंबेडकर पार्क में अतिथि शिक्षकों का जमावड़ा था तो वहीं 3 अक्टूबर को सुबह 11 बजे ये मैदान पूरी तरह से खाली है। कमजोर संगठन के कारण पूरा आंदोलन बिखर गया। अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष केसी पवार द्वारा आमरण अनशन का ऐलान किया गया था परंतु इसके लिए उन्होंने कोई इंतजाम नहीं किए थे। अंबेडकर पार्क में प्रदर्शन के लिए सिर्फ एक दिन की परमिशन मिली थी। संगठन के पास कोई रणनीति नहीं थी कि सूर्यास्त के बाद क्या करेंगे। सबको पता था कि सरकार एक दिन में नहीं मानेगी, लेकिन आंदोलन का नेतृत्व करने वाले कर्मचारी नेताओं ने शाम के बाद आंदोलन बढ़ाने की कोई प्लानिंग नहीं की थी। 

जीतू पटवारी की नेतागिरी भारी पड़ गई 

अतिथि शिक्षक एक तरफ वचनबद्धता की मांग कर रहे थे। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव पर वचन भंग करने का आरोप लगा रहे थे वहीं दूसरी तरफ उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी को पूरे आंदोलन का नेता प्रदर्शित कर दिया। जबकि जीतू पटवारी के समय भी भोपाल में अतिथि विद्वानों ने ऐसा ही प्रदर्शन किया था और जीतू पटवारी उनसे मिलने तक नहीं आए थे। अब नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार ने बयान दिया है कि अतिथि शिक्षकों के लिए हम विधानसभा में हर स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे। इस बयान का सीधा सा अर्थ है कि कांग्रेस पार्टी अतिथि शिक्षकों के लिए सड़क पर कोई लड़ाई नहीं लड़ेगी।

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