दुनिया भर में शायद ही कहीं ऐसा होता हो। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सांपों की लोक अदालत का आयोजन किया जाता है। यह एक सालाना आयोजन है। इसमें पीड़ित व्यक्ति आता है जिसे सांप ने काट लिया था। यहां पर पंडित जी दोनों का सामना करवाते हैं। विवाद का कारण जाना जाता है और फिर दोनों के बीच में समझौता करवा दिया जाता है। सांप यह वचन देकर जाता है कि जीवन में फिर कभी नहीं डसेगा।
दूर-दूर से लोग अदालत की कार्रवाई देखने आते हैं
भोपाल से 30 किलोमीटर दूर इंदौर-भोपाल हाईवे पर एक गांव है, जिसका नाम है लसूड़िया परिहार। इस गांव में हनुमान जी का मंदिर है। ग्राम के वयोवृद्धों के अनुसार इस मंदिर पर बीते 100 सालों से दीपावली के दूसरे दिन पड़वा (गोवर्धन पूजा वाले दिन) पर सांपों की अदालत लगाई जाती है। इस अदालत में ऐसे लोग पहुंचते हैं, जिन्हें कभी सांप ने काट लिया। इस पेशी पर सीहोर-भोपाल के नहीं, बल्कि संपूर्ण प्रदेश के जिलों से ग्रामीण पहुंचते हैं। साथ ही इस कोतुहल को देखने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
सांप और इंसान के बीच समझौता करवाया जाता है
ग्राम लसूड़िया परिहार के भोलाराम त्यागी बताते हैं कि, साल भर में जिन लोगों को सांप ने काट लिया है, वह लोग आते हैं। यहां जैसे ही कांडी की धुन बजना शुरू होती है, वैसे ही लोग लहराने लगते हैं। इस दौरान पंडा जी की ओर से उनसे काटने का कारण पूछा जाता है, जिस पर सांप ने जिस कारण डंसा हो वह पीड़ित व्यक्ति के शरीर में आकर कारण बताता है। इसके बाद पंडा जी संबंधित सांप से वचन लेते हैं कि दोबारा इसे मत काटना और पीड़ित व्यक्ति के शरीर में आया सांप वचन देता है। इस प्रकार दोनों के बीच में समझौता करवा दिया जाता है।
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