मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के मामलों की सुनवाई के लिए गठित स्पेशल कोर्ट में जिला सहकारी एवं ग्रामीण विकास बैंक के 4 अधिकारियों को 3-3 साल जेल की सजा सुनाई गई है। मामले की जांच लोकायुक्त पुलिस द्वारा की गई थी।
अभियोजन की कहानी
इस मामले में विशेष लोक अभियोजक हेमलता कुशवाहा की तरफ से दलीले पेश की गई थी। दोषियों के खिलाफ ग्राम बगौनिया, कल्याणपुर के ग्रामीणों ने लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत की थी। जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के अधिकारियों ने रातीबड़ स्थित ग्राम बरखेडा नाथू की जमीन को बैंक अधिनियम 1999 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुये ऋण वसूली न होने पर चल-अचल संपत्ति से ऋण वसूली के लिये बैंक अधिकारियो ने नियम एवं शर्तों को अपनाये बिना मिट्टी के भाव में कृषि भूमि नीलाम कर दी थी।
लगभग 5 एकड भूमि मात्र 40 हजार रूपये में षडयंत्र पूर्ण 30 जून, 2000 को नीलाम कर दी थी। किसान सौरभ सिंह की जमीन को जिसने दूध डेयरी के लिए 20 हजार रूपये का कर्ज लिया था उसे नीलाम किया गया। जबकि उसको सिर्फ 10 दस हजार रुपए का भुगतान करना बाकी था। ऐसा ही 2000 से 2007 के बीच अफसरों ने किया था।
किस अधिकारी को कितनी सजा मिली
भोपाल जिला अदालत से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार अदालत ने तत्कालीन प्रबंधक एससी सिंघई, तत्कालीन विक्रय अधिकारी विजेन्द्र कौशल, तत्कालीन संयुक्त पंजीयक आरएस गर्ग, सहकारिता निरीक्षक एपीएस कुशवाहा को धारा 420, 120-बी भादवि 13-1 (डी) सहपठित 13(2) पीसी एक्ट् में दोषी करार दिया। इसमें एससी सिंघई, एपीएस कुशवाहा, संयुक्त पंजीयक आरएस गर्ग, विजेन्द्रे कौशल को धारा 420 और 120-बी में तीन साल जेल की सजा और 10-10 हजार अर्थदण्ड के आदेश दिए। इसी तरह धारा 13-1 (डी), 13(2) पीसी एक्ट में तीन वर्ष वर्ष का सश्रम कारावास और 10-10 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया।
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