मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की राजनीति का एक और रंग आज दिखाई दिया। नेता प्रतिपक्ष ने भाजपा विधायकों की तरह कांग्रेस पार्टी के विधायकों को भी 15-15 करोड़ दिलवाने के लिए, सभी विधायकों को भोपाल बुलाया था। मुख्यमंत्री से मिलने का प्लान था। टोटल 63 में से सिर्फ 27 विधायक आए। 36 विधायक अनुपस्थित थे।
दो में से कोई एक बात हो सकती है, बाकी तो बहाने बाजी है
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 63 विधायक हैं लेकिन मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से मिलने के लिए 27 विधायक ही पहुंचे। सवाल करने पर बताया गया कि, सोमवार शाम को ही यह तय हुआ कि सीएम से मुलाकात करने जाएंगे। सूचना सभी विधायकों को भेजी गई थी लेकिन कई विधायकों के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम और बैठकें थीं। कुछ लोग कम समय होने के चलते नहीं आ पाए। कितनी अजीब बात है, विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए 15 करोड रुपए से ज्यादा महत्वपूर्ण क्या बात हो सकती है। यदि आधे से ज्यादा विधायक नहीं आने वाले थे तो फिर नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री से मिलने का कार्यक्रम ही निर्धारित क्यों किया। इस मीटिंग की कोई डेट वैल्यू तो थी नहीं। कल भी कर सकते थे और अगले मंगलवार को भी।
कहीं ऐसा तो नहीं कि, 36 विधायकों को नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार के नेतृत्व पर भरोसा ही नहीं है या फिर वह डायरेक्ट मुख्यमंत्री के कनेक्शन में है और उन्हें अपने क्षेत्र के विकास के लिए किसी उमंग सिंघार की जरूरत नहीं है।
मामला क्या है
डॉ मोहन यादव ने मुख्यमंत्री बनते ही सभी विधायकों से कहा था कि, अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए विजन डॉक्यूमेंट बनाएं। 15 करोड रुपए तक का बजट आवंटित किया जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने फटाफट विजन डाक्यूमेंट तैयार किए और प्रस्तुत कर दिए। उनके लिए बजट भी आवंटित हो गया परंतु कांग्रेस पार्टी के विधायकों ने मुख्यमंत्री की बात को कोई महत्व नहीं दिया। इसलिए उनका बजट अटक गया। आज जब 27 विधायकों के साथ नेता प्रतिपक्ष मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे तो मुख्यमंत्री ने फिर बात बात दोहरा दी। कहा, पहले विजन डॉक्यूमेंट तो बनाओ। कहां कितना खर्च करना है, यह तो बताओ।
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