भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 35 की उपधारा 01 में बताया गया है कि कोई भी पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना संज्ञेय अपराध में या किसी उचित ठोस साक्ष्य की शिकायत पर जो अपराध सात वर्ष तक से कम न हो ऐसे संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है एवं ऐसे व्यक्ति को अपनी अभिरक्षा में रखने का अधिकार भी पुलिस अधिकारी के पास होता है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 40 की उपधारा 02 की परिभाषा
यदि पुलिस अधिकारी को लगता है कि व्यक्ति ने धारा 35(1) के तहत अपराध किया है, तो वह व्यक्ति को अभिरक्षा में लेगा।
स्पष्टीकरण: धारा 35(1) के तहत, पुलिस अधिकारी बिना वारंट के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है, यदि:
1. वह व्यक्ति एक संज्ञेय अपराध करता है।
2. वह व्यक्ति एक उद्घोषित अपराधी है।
3. पुलिस अधिकारी को लगता है कि वह व्यक्ति एक अपराध करने की तैयारी में है।
उदाहरण:
1. पुलिस ने देखा कि एक व्यक्ति एक दुकान में चोरी कर रहा है। पुलिस ने उसे BNSS की धारा 35 के अंतर्गत गिरफ्तार कर लिया एवं BNSS की धारा 40(1) के अंतर्गत अपनी अभिरक्षा में ले लिया।
2. पुलिस को सूचना मिली कि एक व्यक्ति एक अपराधी गतिविधि में शामिल है। पुलिस ने उसे BNSS की धारा 35 के अंतर्गत गिरफ्तार कर लिया एवं BNSS की धारा 40(1) के अंतर्गत अपनी अभिरक्षा में ले लिया।
लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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