जब तक किसी आरोपी पर कोई अपराध साबित नहीं हो जाता, तब तक उसे अपराधी नहीं कहा जा सकता है अर्थात आरोपी को निर्दोष माना जाता है जब तक अदालत में अपराध साबित नहीं होता तब तक। पुलिस का कर्तव्य है की वह आरोपी व्यक्ति को यह जानकारी दे उसे क्यूँ गिरफ्तार किया गया एवं किस अपराध के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। बताना होगा, जानिए :-
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 47 की उपधारा 01 की परिभाषा
गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधारों को जानने का अधिकार :- किसी व्यक्ति को वारंट के बिना गिरफ्तार करने वाला प्रत्येक पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति उस व्यक्ति को उस अपराध की, जिसके लिए वह गिरफ्तार किया गया है, पूर्ण विशिष्टियां या ऐसी गिरफ्तारी के अन्य आधार तुरंत संसूचित करेगा।
साधारण शब्दों मे कहें तो गिरफ्तार व्यक्ति को पता चलना चाहिए कि वह क्यों गिरफ्तार किया गया है। पुलिस अधिकारी को गिरफ्तारी के कारण बताने होंगे। गिरफ्तार व्यक्ति को अपने अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए यह सब जानकारी उसे पुलिस अधिकारी देगा।
उदाहरण के लिए:-
पुलिस अधिकारी एक व्यक्ति को चोरी के आरोप में गिरफ्तार करता है, पुलिस अधिकारी उस व्यक्ति को बताता है कि वह क्यों गिरफ्तार किया गया है। पुलिस अधिकारी उस व्यक्ति को अपराध की विशिष्टियां बताता है, जैसे कि:- तारीख और समय स्थान आरोपित अपराध क्या है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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