मध्य प्रदेश शासन, स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय के अंतर्गत लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल, "काम कम पॉलिटिक्स ज्यादा" के लिए जाना जाता है। अतिशेष शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के नाम पर मनमानी करने और शिक्षकों के अभ्यावेदन का एक तरफ निराकरण कर देने के मामले जब हाईकोर्ट में पहुंचने लगे और हाईकोर्ट से ताबड़तोड़ नोटिस जारी होने लगे, तो लोक शिक्षण संचालनालय 5000 असंतुष्ट शिक्षकों की समस्याओं की सुनवाई के लिए समिति के गठन का ऐलान कर दिया है।
स्कूल शिक्षा विभाग की ट्रांसफर पॉलिसी 2022 के तहत अतिशेष शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण
लोक शिक्षण संचालनालय, मध्यप्रदेश, भोपाल से जारी आदेश दिनांक 4/10/2024 में लिखा है कि, राज्य एवं जिला स्तर पर अधिकारियों/कर्मचारियों हेतु जारी स्थानांतरण नीति वर्ष 2022 दिनांक 08.09.2022 की कंडिका 3.2 के अनुक्रम में संचालनालय के विभिन्न निर्देश पत्र कमांक 2562 दिनांक 23.8.2024, पत्र क्रमांक 1811 दिनांक 13.9.2024, पत्र क्रमांक 1636 दिनांक 20.09.2024 एवं पत्र क्रमांक 31. दिनांक 25.9.2024 द्वारा जारी निर्देशों के अनुक्रम में अतिशेष शिक्षकों को शिक्षकों की कमी वाली शालाओं में काउंसलिंग के माध्यम से पदस्थ करने संबंधी कार्यवाही की गई है।
15000 में से 10000 में स्कूल जॉइन कर लिया
अभी तक प्राथमिक स्तर के 10015, माध्यमिक स्तर के 4136 एवं उच्च माध्यमिक स्तर के 1191 लोक सेवकों द्वारा काउंसलिंग में उपस्थित होकर स्वैच्छिक रूप से नवीन पदस्थाना हेतु शाला का चयन किया गया है। उक्त काउंसलिंग प्रक्रिया में सम्मिलित लोक सेवकों में से लगभग 15000 लोक सेवकों की पदस्थापना आदेश जारी किए जा चुके हैं। उक्त में से लगभग 10000 से अधिक लोक सेवकों द्वारा चयनित विद्यालयों में अपनी ऑनलाइन उपस्थिति दी जा चुकी है।
5000 शिक्षक अभ्यावेदन के निराकरण से असंतुष्ट
उपरोक्तानुसार काउंसलिंग प्रक्रिया से पूर्व अतिशेष शिक्षकों को उनके अतिशेष होने के संबंध में यदि कोई आपत्ति है तो इस संबंध में अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया गया था, किन्तु इसके उपरांत भी कतिपय लोक सेवक उनके अभ्यावेदन के निराकरण से संतुष्ट नहीं हैं तथा उनके द्वारा विभिन्न स्तरों पर अपने अभ्यावेदन प्रस्तुत किए जा रहें है।
असंतुष्ट शिक्षकों को अध्ययन का एक और मौका
उपरोक्त वस्तुस्थिति के दृष्टिगत राज्य स्तर पर यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे अतिशेष शिक्षक जो पूर्व कंडिका 2 अनुसार यदि आपत्ति के निराकरण से संतुष्ट नहीं है, पुनः अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत करना चाहते हैं तो ऐसे शिक्षक प्रमाण सहित अपना अभ्यावेदन अपने जिले के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अभ्यावेदन प्रस्तुत कर सकेंगें। उक्त समस्त अभ्यावेदनों के परीक्षण हेतु निम्नानुसार समिति गठित जाती हैं:-
1. संभागीय संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण, संबंधित संभाग - अध्यक्ष
2. राज्य स्तर से एक प्रतिनिधि (उप संचालक से अनिम्न) - सदस्य
3. संभागीय जिले के प्राचार्य डाइट - सदस्य
4. जिला शिक्षा अधिकारी, संबंधित जिला - सदस्य
5. संयुक्त संचालक कार्यालय से संबंधित जिले के लिए अतिशेष की काउंसलिंग के दौरान नियुक्त प्रतिनिधि - सदस्य
अभ्यावेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया निम्नानुसार होगी:-
5.1 संबंधित लोक सेवक द्वारा अभ्यावेदन संबंधी विवरण संलग्न प्रपत्र 1 में विमर्श पोर्टल पर प्रविष्टि की जाएगी। पोर्टल पर अभ्यावेदन दर्ज करने पर अभ्यावेदन का एक रिफरेंस नंबर जनरेट होगा।
5.2 संबंधित लोक सेवक उस नंबर की प्रविष्टि अपने अभ्यावेदन में करके अभ्यावेदन मय दस्तावेजों एवं प्रमाण के साथ जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में दिनांक 05.10. 2024 से दिनांक 11.10.2024 तक प्रस्तुत करेगें।
5.3 जिला शिक्षा अधिकारी अपने कार्यालय में अभ्यावेदन प्राप्त करने के लिए किसी एक अधिकारी को उत्तरदायित्व सौंपा जाएगा।
5.4 संबंधित अधिकारी के नियंत्रण में लिपिक द्वारा अभ्यावेदन की प्रविष्टि रजिस्टर में निर्धारित प्रपत्र में दर्ज की जाएगी तथा संबंधित को प्राप्ति की अभिस्वीकृति दी जाएगी।
5.5 यदि कोई लोक सेवक विमर्श पोर्टल पर ऑनलाईन प्रविष्टि नहीं कर पा रहा हो तो संबंधित लिपिक उसकी प्रविष्टि विमर्श पार्टल पर करेंगें तथा उसका रिफरेंस नंबर अभ्यावेदन पर लिखेंगें।
उपरोक्तानुसार समिति द्वारा अभ्यावेदनों का विस्तृत परीक्षण किया जाएगा तथा परीक्षण हेतु संकुल प्राचार्य से लिखित में दस्तावेज प्राप्त कर निर्णय लिया जाएगा। समिति द्वारा आवश्यकतानुसार संबंधित लोक सेवक को सुनवाई हेतु भी बुलाया जा सकेगा। यदि किसी संकुल प्राचार्य द्वारा त्रुटिपूर्ण जानकारी दी जाती है तो संबंधित का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाएगा। समिति द्वारा दिनांक 14.10.2024 से 18.10.2024 तक सभी अभ्यावेदनों का निराकरण कर speaking order जारी किए जाएंगें तथा तदानुसार संभागीय संयुक्त संचालक द्वारा निर्णय की जानकारी विमर्श पोर्टल पर प्रविष्ट की जाएगी। समिति द्वारा लिए गए निर्णय के अनुक्रम में आवश्यक होने पर यथोचित कार्यवाही सक्षम स्तर से की जाएगी। समस्त संबंधितों द्वारा उपरोक्त निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाए।
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