फ्री में शिशुओं का वजन बढ़ाने हेतु ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च - How baby gains weight

Bhopal Samachar
आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में बच्चों के पोषण और माताओं के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना महत्वपूर्ण हो गया है। हाल ही में जामा पीडियाट्रिक्स, 2024 में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर ने यह साबित किया है कि रिलैक्सेशन थेरेपी का उपयोग शिशुओं के पोषण और माताओं की मानसिक स्थिति में सकारात्मक प्रभाव डालता है। यह अध्ययन ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी पुतरा मलेशिया के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया।

रिलैक्सेशन थेरेपी में क्या करते हैं

रिलैक्सेशन थेरेपी एक ऐसी तकनीक है, जिसका उद्देश्य मानसिक और शारीरिक तनाव को कम करना होता है। यह तकनीक विभिन्न प्रकार की विधियों का उपयोग करती है, जो व्यक्ति को मानसिक शांति और शारीरिक आराम प्रदान करती हैं। रिलैक्सेशन थेरेपी के तहत कई प्रकार की प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं, जैसे:
  1. संगीत सुनना: शांत और सुकून देने वाला संगीत सुनना मानसिक शांति प्रदान करता है। यह तकनीक माताओं के दूध उत्पादन को बढ़ाने और तनाव को कम करने में मदद करती है।
  2. ध्यान (मेडिटेशन): ध्यान के माध्यम से व्यक्ति अपने मन को शांत और स्थिर करने की कोशिश करता है। यह मन में उत्पन्न तनाव और चिंता को दूर करने का एक प्रभावी तरीका है।
  3. साँस लेने के व्यायाम: गहरी और नियंत्रित साँस लेना शरीर और मन को शांत करता है। इस तकनीक का उपयोग खासकर उन माताओं के लिए किया जाता है जो अपने शिशुओं को स्तनपान कराती हैं, ताकि वे मानसिक रूप से सशक्त रहें और शारीरिक रूप से अधिक दूध का उत्पादन कर सकें।
  4. प्रोग्रेसिव मसल रिलैक्सेशन (PMR): इस तकनीक में शरीर के विभिन्न हिस्सों की मांसपेशियों को क्रमवार तरीके से तनावमुक्त किया जाता है, जिससे व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक आराम मिलता है।
  5. गाइडेड इमेजरी: इसमें व्यक्ति अपनी आँखें बंद करके मानसिक रूप से किसी शांत और सुकून भरी जगह की कल्पना करता है। यह मानसिक तनाव को कम करने का एक और प्रभावी तरीका है।
रिलैक्सेशन थेरेपी का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाना है। यह विशेष रूप से नई माताओं के लिए लाभकारी है, क्योंकि इससे उन्हें स्तनपान कराने में मदद मिलती है और उनके शिशु को आवश्यक पोषण मिलता है।

रिसर्च के महत्वपूर्ण तथ्य:

मानसिक स्वास्थ्य और दूध उत्पादन का संबंध: अध्ययन में पाया गया कि जिन माताओं ने रिलैक्सेशन थेरेपी का अभ्यास किया, उन्होंने अधिक मात्रा में स्तनपान किया। शिशुओं के लिए आवश्यक पोषक तत्वों का उत्पादन भी बढ़ा।

शिशुओं का वज़न बढ़ना: रिलैक्सेशन थेरेपी से न केवल माताओं को शांति मिली, बल्कि शिशुओं का वजन भी अन्य शिशुओं की तुलना में तेज़ी से बढ़ा। यह माताओं के तनाव को कम कर, स्तनपान प्रक्रिया को सरल बनाने में मददगार साबित हुआ।

तनाव और चिंता में कमी: यह अध्ययन स्पष्ट करता है कि रिलैक्सेशन तकनीकें जैसे संगीत, ध्यान, साँस लेने के व्यायाम आदि माताओं के तनाव और चिंता के स्तर को भी कम करती हैं। इससे न केवल माताओं की मानसिक स्थिति में सुधार होता है, बल्कि शिशुओं की भी नींद और भोजन लेने की प्रक्रिया में सुधार देखा गया।

दूध की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार: माताओं द्वारा की गई रिलैक्सेशन थेरेपी से दूध की मात्रा में 0.73 गुना की वृद्धि देखी गई। साथ ही, दूध में पोषक तत्व जैसे कार्बोहाइड्रेट और ऊर्जा में भी वृद्धि दर्ज की गई।

निष्कर्ष:
रिलैक्सेशन थेरेपी एक सरल और प्रभावी तरीका है जो माताओं और शिशुओं दोनों के स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद कर सकता है। इस अध्ययन के आधार पर, डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी माताओं को नियमित रूप से रिलैक्सेशन तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, ताकि वे अपने शिशुओं को बेहतर पोषण दे सकें और खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ रख सकें। ✒ Dr. Indresh Kumar. 

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