NASA ने दुनिया भर के लिए एक बड़ा अलर्ट जारी किया है। सूर्य पर भयंकर परमाणु विस्फोट हुए हैं और उससे पैदा हुई भयंकर आग की लपटे पृथ्वी तक पहुंच सकती है। पृथ्वी के वैज्ञानिक इसे Solar storm कहते हैं। यदि Solar storm पृथ्वी से टकराया तो सेटेलाइट सिस्टम बर्बाद हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो लाइव टेलीकास्ट और GPS पूरी तरह से बंद हो जाएंगे, और भी बहुत कुछ बर्बाद हो जाएगा। ISRO के वैज्ञानिक इस संभावित खतरे से भारत को बचाने की तैयारी कर रहे हैं।
Solar storm 2024 कितना भयंकर है
अमेरिका के वैज्ञानिकों ने दिनांक 5 अक्टूबर को इसके बारे में नोटिस किया और दिनांक 6 अक्टूबर को चेतावनी जारी कर दी गई। NASA के वैज्ञानिक ने बताया कि एक भयंकर सौर तूफान, जो सूर्य से पैदा हुआ है, पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है। यह पृथ्वी से टकरा सकता है। इसके कारण सेटेलाइट सिस्टम बर्बाद हो सकता है। सेटेलाइट के माध्यम से होने वाले सभी प्रकार के कम्युनिकेशन बंद हो सकते हैं। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान की निदेशक, डॉ. अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने कहा कि, अंतरिक्ष में आए तूफान के कारण पृथ्वी के MAGNETOSPHERE में व्यवधान पैदा होने की संभावना है। अर्थात पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र प्रभावित हो सकता है।
Solar storm 2024 Date and Time
आग की लपटें सूर्य से पृथ्वी की ओर बढ़ रही हैं। यह इतनी ताकतवर है कि पलक झपकते ही पूरी पृथ्वी को राख बना सकती है परंतु सूर्य से पृथ्वी की दूरी लगभग 149.6 मिलियन किलोमीटर है। इसलिए पृथ्वी के नजदीक तक पहुंचते-पहुंचते यह सौर तूफान शायद थोड़ा काम हो जाएगा। समाचार के लिखे जाने तक वैज्ञानिकों की ओर से इसकी तारीख और समय का पूर्वानुमान जारी नहीं किया गया था। कृपया भोपाल समाचार डॉट कॉम पढ़ते रहिए। यहां आपको अधिकृत जानकारी मिलेगी।
Solar storm 2024 भारत को अधिकतम कितना प्रभावित कर सकता है
जैसा कि हमने बताया कि यह काफी शक्तिशाली है परंतु इतना शक्तिशाली भी नहीं है कि, पृथ्वी के वायुमंडल को पार करते हुए उस हिस्से तक पहुंच जाए। जहां पर हम और आप यानी मनुष्य रहते हैं। यह अधिकतम पृथ्वी के सेटेलाइट सिस्टम को बर्बाद कर सकता है और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है। यदि सैटेलाइट सिस्टम बर्बाद हुआ तो ज्यादा से ज्यादा यह हो सकता है:-
- लाइव टेलीकास्ट, रेडियो और सेटेलाइट के माध्यम से सभी प्रकार के कम्युनिकेशन बंद हो सकते हैं।
- GPS सिस्टम बर्बाद हो सकता है।
- मौसम की सटीक जानकारी नहीं मिल पाएगी और आपदा प्रबंधन की गतिविधियां प्रभावित होगी।
- बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं को नुकसान पहुंच सकता है।
- अंतरिक्ष से अनुसंधान कार्यक्रम प्रभावित हो सकते हैं।
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