मध्य प्रदेश में जिला कलेक्टर राजस्व विभाग का मुखिया होता है, एसडीम, तहसीलदार और पटवारी उसकी टीम के सदस्य होते हैं। भिंड जिले में पुलिस की ग्वालियर लोकायुक्त टीम ने एक पटवारी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। लोकायुक्त में तो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है परंतु सवाल यह है कि जो कलेक्टर अपनी टीम में रिश्वतखोरी बंद नहीं कर पा रहा है, वह दूसरे विभागों पर क्या नियंत्रित करेगा।
कलेक्टर के आदेश का पालन नहीं करने के लिए रिश्वत ले रहा था
लोकायुक्त पुलिस के अनुसार, भिंड जिले की अटर तहसील के रमा गांव में रहने वाले किसान सर्वेश यादव ने कि रमा मौजे में उसकी जमीन है। खसरा नंबर 322 में छह बिस्वा में पांच हिस्सेदार हैं। परिवार के सदस्य ने जमीन से कब्जा दिलाने के लिए अटेर तहसीलदार के यहां गुपचुप तरीके से आदेश करवा लिया। आवेदन में बताया गया कि कलेक्टर भिंड के स्थगन आदेश के पालन में आवेदक की ग्राम बरकापूरा स्थित कृषि भूमि पर प्रतिवादी प्रमोद यादव का कब्जा नहीं करवाने एवम आवेदक के पक्ष में यथावत कब्जा बनाए रखने के एवज में आरोपी पटवारी आदित्य कुशवाह 10 हजार रुपए रिश्वत की मांग कर रहा है, जिसमें से वो 2 हजार रुपये दे चुका है। फरियादी किसान ने इसकी शिकायत लोकायुक्त से कर दी।
पटवारी आदित्य सिंह कुशवाह घर के बाहर से गिरफ्तार
शिकायत की सत्यता की जांच के बाद लोकायुक्त ग्वालियर की टीम ने ट्रैप प्लान तैयार किया। इसके बाद बुधवार सुबह फरियादी शेष रिश्वत राशि आठ हजार रुपए देने के लिए आरोपी पटवारी आदित्य सिंह कुशवाह के घर पहुंचा। पटवारी ने घर के बाहर जैसे ही फरियादी से रिश्वत की राशि ली वैसे ही लोकायुक्त टीम ने उसे रंगे हाथों दबोच लिया। मौके की कार्रवाई के बाद आरोपी को थाना कोतवाली भिंड ले जाकर ट्रैप टीम के द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मामला दर्ज किया गया।
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