हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश की इंदौर बेंच में विजयनगर पुलिस थाने की ओर से बताया गया कि, पुलिस थाने में रखे हुए 28 मामलों के सबूत नष्ट हो गए हैं। इसलिए उन्हें कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किया जा सकेगा। इस बात से मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय नाराज हो गया और डीजीपी मध्य प्रदेश को निर्देश दिया है कि वह सभी पुलिस थानों में रखे हुए सबूत का फिजिकल वेरिफिकेशन करवाएं।
चूहों का कारनामा या अपराधियों से मिली भगत
पुलिस द्वारा उच्च न्यायालय को बताया गया है की बारिश के दिनों में चूहों ने 28 विभिन्न अपराधों की इन्वेस्टीगेशन के दौरान एकत्रित किए गए विसरा एवं अन्य सैंपल नष्ट कर दिए हैं। यह सभी सबूत प्लास्टिक की बोतल में रखे गए थे। सैंपल के नष्ट हो जाने के कारण उन्हें लैब में नहीं भेजा जा सका और अब पुलिस के पास कोई टेस्टिंग रिपोर्ट नहीं है। पुलिस की इस बयान से 28 मामलों में आरोपियों को लाभ होगा। सबूत के अभाव में न्यायालय को उन्हें दोष मुक्त घोषित करना पड़ेगा। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि पुलिस मैनुअल में प्लास्टिक की बोतल में सैंपल प्रिजर्व करने का प्रावधान ही नहीं है। कहीं ऐसा तो नहीं की किसी पुलिस अधिकारी अथवा कर्मचारियों ने अपराधियों से मिली भगत करके मौसम और चूहों के बहाने सारे सबूत नष्ट कर दिए।
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने कहा, इन हालात के मद्देनजर पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया जाता है कि वह राज्य के सभी थानों के मालखानों में रखे सामान की मौजूदा स्थिति पता करें ताकि आइंदा अन्य थानों में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। उच्च न्यायालय ने सुझाया कि इस काम के लिए थानों को एक वेब लिंक भी भेजी जा सकती है जिसके जरिये मालखाने में रखे सामान की जानकारी हर महीने अद्यतन की जा सकती है।
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