हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश ने नोटिस जारी करके मध्य प्रदेश शासन से पूछा है कि, सरकारी कर्मचारी यदि हायर एजुकेशन प्राप्त करना चाहता है, गुणवत्ता में सुधार लाना चाहता है, तो उसे पढ़ने की अनुमति क्यों नहीं दे रहे हो। हाई कोर्ट ने जवाब प्रस्तुत करने के लिए 7 दिन का समय दिया है।
श्रीमती शिल्पा श्रीवास्तव नर्सिंग ऑफिसर विरुद्ध मध्य प्रदेश शासन
जबलपुर निवासी श्रीमति शिल्पा श्रीवास्तव द्वारा में याचिका दायर कर एमएससी नर्सिंग कोर्स करने की अनुमति चाही है। याचिका क्रमांक 30265/24 की प्रारंभिक सुनवाई मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर की डिवीजन बेंच द्वारा की गईं। हाईकोर्ट ने पूछा है की अभ्यर्थी /याचिकाकर्ता द्वारा विभागीय तौर पर बी.एस.सी. नर्सिंग कोर्स किए जाने पर दो वर्षीय एम.एस.सी.नर्सिंग कोर्स करने की अनुमति क्यों नहीं दीं जा सकती, जबकी शासन अपने समस्त विभागों को उन्नत बनाने के उद्देश्य से कर्मियों को अपडेट करने हेतु विभागीय रूप से उच्च अध्ययन हेतु अनुमति देते है।
एक बार अनुमति दे चुके हैं बार-बार नहीं नहीं दे सकते: मध्य प्रदेश शासन
शासन का कहना है कि याचिकाकर्ता को इस आधार पर अनुमति नहीं दी जा रही है कि संबंधित को एक बार BSC नर्सिंग हेतु अनुमति दी जा चुकी है। दोबारा अनुमति नहीं दीं जा सकती। उक्त नियम की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा एवं जस्टिस श्री विनय श्रॉफ की खंडपीठ द्वारा याचिका को विचारर्थ स्वीकार करते हुए मध्य प्रदेश शासन सहित डीन मेडिकल कालेज जबलपुर सहित समस्त अनावेदकों को नोटिस जारी करके दो सप्ताह के अंदर जवाब तलब किया है। याचिका कर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा की गई।
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