बाल विकास की अवधारणा और इसका अधिगम से संबंध (CONCEPT OF CHILD DEVELOPMENT AND ITS RELATION WITH LEARNING)। परंतु बाल विकास की अवधारणा को समझने से पहले वृद्धि, परिपक्वता और विकास को समझना आवश्यक है। बाल विकास की अवधारणा को शुरू करने के लिए यह सभी नींव की तरह से काम करेंगे। कृपया इस टॉपिक को पढ़ने से पहले इसी आर्टिकल के लास्ट में दी गई लिंक पर क्लिक करके पुराने टॉपिक को अवश्य पढ़े, जिससे आप बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र को समझने के लिए अपनी समझ को बेहतर बना पाएंगे।
वृद्धि, परिपक्वता, विकास, अधिगम
MPTET VARG 3 SYLLABUS में बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र में पहला टॉपिक है -बाल विकास की अवधारणा एवं इसका अधिगम से संबंध (CONCEPT OF CHILD DEVELOPMENT) एवं CTET PAPER 1 में बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र पहला टॉपिक है- विकास की अवधारणा और सीखने के साथ इसका संबंध (Concept of development and its relationship with learning). बाल विकास की अवधारणा को समझने के लिए हम पहले वृद्धि, परिपक्वता, विकास को समझते हैं, जिसके बाद ही हम बाल विकास की अवधारणा, विकास के प्रकार को समझ सकते हैं क्योंकि बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र में आप ज्यादा कुछ याद नहीं रख सकते। यह थियोरेटिकल से ज्यादा प्रैक्टिकल सब्जेक्ट है। इसी क्रम को आगे बढ़ते हुए अब हम अधिगम (LEARNING)यानी सीखने के बाद बाल विकास का अधिगम से संबंध को समझने का प्रयास करें।
MP TET VARG-3 / CTET PAPER 1 Topic
बाल विकास का अधिगम से संबंध (Relation of child development with Learning)
और अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक (FACTORS AFFECTING THE LEARNING)
जैसा कि हमने अपने पिछले आर्टिकल्स से जाना कि विकास और अधिगम (Development and Learning) परस्पर संबंधित है। इसी प्रकार बाल विकास भी अधिगम से संबंधित है। इसीलिए बालक के विकास की अवस्थाएं भी अधिगम को प्रभावित करेंगी या कहें कि अधिगम, बाल विकास की अवस्था के अनुसार ही होगा। इसे हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं जैसे- यदि कोई बच्चा एक साल तक बोलना नहीं सीखा तो हम कहते हैं कि अरे! यह अभी तो अभी तक बोलना भी नहीं सीखा!! यानी कि उसका अधिगम (Learning) उसकी बाल विकास की अवस्था के अनुसार नहीं हो रहा है। या कभी कोई बच्चा अपनी अवस्था से पहले ही कोई काम करना सीख जाता है. जैसे- कोई बच्चा अपनी उम्र से पहले ही चलना सीख जाए या उम्र से पहले ही बोलना सीख जाए ,तो हम कहते हैं की अरे! यह तो तेजी से ग्रोथ कर रहा है। यानी कि उसका अधिगम (Learning) बाल विकास की अवस्था से पहले ही हो रहा है।
अधिगम के प्रकार- Types of Learning
निष्क्रिय अधिगम और निष्क्रिय अधिगमकर्ता (PASSIVE LEARNING & PASSIV LEARNER)
जैसा कि हम जानते हैं कि एक बच्चा जन्म से पूर्व ही सीखना शुरू कर देता है। इस अवस्था (प्रसव पूर्व) में बालक एक निष्क्रिय अधिगमकर्ता है (Passive Learner) है जिसका अधिगम में कोई खास योगदान नहीं होता, बस वह तो अपने आसपास के परिवेश (माँ के गर्भ) के अनुसार ही सीखता है। इस अवस्था में उसके मां के शरीर का शारीरिक, मानसिक और हर प्रकार का स्वास्थ्य बच्चे के अधिगम और विकास को प्रभावित करेगा परंतु यह निष्क्रिय अधिगम (Passive Learning) कहलायेगा।
सक्रिय अधिगम और सक्रिय अधिगमकर्ता (ACTIVE LEARNING & ACTIVE LEARNER)
जन्म के तुरंत बाद ही वह बच्चा सक्रिय अधिगम (Active Learning) करना शुरू कर देता है और धीरे-धीरे अवस्थाओं के अनुसार अपना टारगेट अचीव करने लग जाता है। जैसे - 3 महीने में गर्दन को साधने लगता है, 6 महीने में पेट के बल रेंगने लगता है, 9- 10 महीने में घुटनों पर चलना सीख जाता है और लगभग एक साल के अंदर - अंदर ही बोलना और अपने पैरों पर चलना भी सीख जाता है। जिसे अब सक्रिय अधिगमकर्ता(ACTIVE LEARNER) कहा जाता है। किसी-किसी बच्चे में यह अवस्थाएं थोड़ा बहुत बदल भी जाती हैं।
परंतु इसके बाद ना विकास रुकता और ना अधिगम। इसके बाद भी आगे की अवस्था जैसे -बाल्यावस्था, किशोरावस्था, प्रौढ़ावस्था में भी विकास और अधिगम दोनों साथ-साथ चलते ही रहते हैं। इस प्रकार हमारा भी विकास और अधिगम होता जा रहा है और अब हम अपने अगले टॉपिक "विकास को प्रभावित करने वाले कारक" तक पहुंच जाएंगे।
अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting The Learning)
चूँकि अधिगम और विकास दोनों ही परस्पर संबंधित है और इनका एक दूसरे पर प्रभाव पड़ना भी स्वाभाविक ही है। अधिगम या सीखना हर समय, हर जगह, हर प्रकार से होता है। यहां तक कि हम सजीव के साथ-साथ निर्जीव चीजों से भी कुछ ना कुछ सीखते ही रहते हैं।
इसीलिए किसी क्षेत्र विशेष की जलवायु, मिट्टी, खनिज की उपलब्धता, पानी, हर चीज अधिगम को प्रभावित करती है। चूँकि बालक का विकास अवस्थाओं में होता है (शैशवास्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था आदि) और उसका अधिगम भी अवस्थाओं के अनुसार ही होता है।
इसके अलावा पर्यावरण, वंशानुगति, अभिप्रेरणा (मोटिवेशन) शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य, बुद्धि, रुचि हर कारक ही अधिगम को प्रभावित करता है। परंतु ध्यान रहे कि अधिगम नेगेटिव या पॉजिटिव किसी भी प्रकार से विकास को प्रभावित कर सकता है।
MOTIVATION IS THE NATIONAL HIGHWAY OR SUPER HIGHWAY TO LEARNING
इन सब में से सबसे महत्वपूर्ण है, मोटिवेशन। यदि आप सीखने के लिए हर समय मोटिवेटेड है, वह भी आंतरिक रूप से, ना कि बाहरी रूप से तभी आप सीख सकते हैं।अमेरिकन साइकोलॉजिस्ट बीएफ स्किनर (B.F. Skinner) जिन्होंने व्यवहारवाद (Behaviourism) पर काम किया उन्होंने तो यहां तक भी कहा है कि "Motivation is the National Highway Or Super Highway to Learning"
यानी यदि अगर आप सीखने के लिए तत्पर हैं या मोटिवेटेड हैं या आपके सामने कोई goal है या आप Intrested हैं तो आपके अधिगम की गाड़ी ठीक वैसे ही दौड़ेगी जैसे- राष्ट्रीय राजमार्ग पर, गाड़ियां दौड़ती हैं।
टॉपिक का सार- GIST OF THE TOPIC
अपने सामने पहले छोटा लक्ष्य रखें और फिर धीरे-धीरे उस GOAL के लिए खुद भी आगे बढ़े और उसे लक्ष्य को भी बढ़ाते रहे। KEEP LEARNING ALWAYS! श्रीमती शैली शर्मा (MPTET Varg1(BIOLOGY),2(SCIENCE),3 & CTET PAPER 1,2(SCIENCE)-QUALIFIED
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