NASA का रोबोट मंगल ग्रह की घाटी में फंस गया, पढ़िए उनके मिशन मंगल का क्या होगा - Space News

Bhopal Samachar
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA का रोबोट Curiosity दिनांक 6 अगस्त 2012 को मंगल ग्रह की जमीन पर उतरा था। तब से अब तक उसने कई महत्वपूर्ण जानकारियां पृथ्वी पर भेजी परंतु दिनांक 7 अक्टूबर 2024 को नासा का क्यूरियोसिटी रोवर मंगल ग्रह की एक घाटी "Gediz Vallis channel" में फंस गया। आईए जानते हैं कि, नासा की इस रोबोट ने अब तक हमको क्या महत्वपूर्ण जानकारियां दी और अब अमेरिका के मिशन मंगल का क्या होगा। 

घटना का विवरण एवं नासा के मंगल अभियान का अब क्या होगा

नासा की ओर से दी गई अधिकृत जानकारी के अनुसार, सोमवार दिनांक 7 अक्टूबर 2024 को, योजना के अनुसार क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल ग्रह के गेडिज वैलीस चैनल में अपनी स्थिति से उत्तर दिशा की ओर आगे बढ़ना शुरू किया। वह लगभग 98 फीट आगे बढ़ पाया था कि उसका दाहिना अगला पहिया एक चट्टान के कारण अटक गया। इसके बाद वह आगे नहीं बढ़ पाया। नासा के पास एक विकल्प था कि वह अपने रोबोट के माध्यम से चट्टान को हटाने की कोशिश करता परंतु यह जोखिम भरा था। ऐसी स्थिति में रोबोट को नुकसान पहुंच सकता था। इसलिए उन्होंने फैसला लिया कि रोवर की भुजा को उसी जगह पर रख दिया जाएगा। नासा ने इसके आगे की योजना बनाई है। वह अपने अभियान के लिए आश्वस्त है। 

क्यूरियोसिटी रोवर की प्रोफाइल

  1. क्यूरियोसिटी रोवर एक मानव रहित रोबोटिक वहां है। 
  2. 26 नवंबर 2011 को पृथ्वी से रवाना हुआ था और 6 अगस्त 2012को मंगल ग्रह की जमीन पर उतरा। 
  3. क्यूरियोसिटी रोवर का वजन लगभग 900 किलोग्राम है। 
  4. क्यूरियोसिटी रोवर की ऊंचाई 2.2 मी और लंबाई 3 मीटर है। 
  5. क्यूरियोसिटी रोवर परमाणु ऊर्जा से चलता है इसलिए 24x7 लगातार काम कर सकता है। 
  6. क्यूरियोसिटी रोवर में कई महत्वपूर्ण उपकरण लगे हुए हैं। कैमरा के अलावा रेडिएशन डिटेक्टर, मिट्टी और चट्टानों की जांच करने वाले उपकरण और स्पेक्ट्रोमीटर भी है। 
  7. क्यूरियोसिटी रोवर अपने आप में पूरी एक अत्याधुनिक लैब है, जो मिट्टी, पत्थर और हवा की जांच कर सकती है। 

क्यूरियोसिटी रोवर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां

क्यूरियोसिटी रोवर, मंगल ग्रह के गेल क्रेटर (Gale Crater) नामक स्थान पर उतरा था। यह एक 18000 फीट गहरी खाई है। शायद किसी एस्टेरॉइड के टकराने के कारण यह खाई बन गई होगी। अब इस खाई में मिट्टी और टूटी हुई चट्टानें दिखाई देती है। अब तक हम यह मानते थे की मंगल पर ना तो कभी जीवन था और ना ही भविष्य में कभी जीवन की संभावना है।

Evidence of Ancient Water

क्यूरियोसिटी रोवर ने जांच करके बताया कि, इस मिट्टी के नीचे पहले पानी भी था। क्यूरियोसिटी रोवर ने अपनी जांच को साबित करने के लिए ऐसी चट्टानों की खोज की जो अक्सर पानी के तालाब के नीचे मिलती है। 

Signs of Habitability 

क्यूरियोसिटी रोवर ने अपनी जांच से साबित किया कि प्राचीन काल में मंगल ग्रह पर जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियों थी। पर्यावरण में कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर, और फॉस्फोरस जैसे तत्व मौजूद हैं जो जीवन के लिए अनिवार्य हैं। उसने चट्टानों पर ऐसे खनिज की खोज की है जो साबित करते हैं कि मंगल पर ताज और पीने योग्य पानी था। 

Discovery of Methane

क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल ग्रह पर मेथेन की खोज की। उसने साबित किया कि वायुमंडल में अभी भी मेथेन उपलब्ध है। यानी इस बात की संभावना है कि वहां पर बेहद सूक्ष्म आकर के जीव मौजूद हो सकते हैं क्योंकि पृथ्वी पर मेथेन केवल जीवित प्रक्रिया में पाया जाता है। क्यूरियोसिटी रोवर का कैमरा और दूसरे उपकरण इतने अत्यधिक नहीं है जो बेहद सूक्ष्म आकर के जीव की मौजूदगी को साबित कर सकते हैं। 

Evidence of Climate Change

क्यूरियोसिटी रोवर ने यह भी साबित किया की मंगल ग्रह पर जलवायु परिवर्तन हुआ है। पहले वहां के वातावरण में नमी और हवा में गर्मी भी थी, जबकि अभी मंगल ग्रह का पर्यावरण शुष्क और ठंडा है। क्यूरियोसिटी रोवर ने Gale Crater के निचले तल और चट्टानों की जांच की और उसकी रिपोर्ट पृथ्वी पर भेजी। उसने साबित किया कि यह स्थान, प्राचीन काल में एक झील था। बाद में कचरा और मिट्टी इस पर जमा होते चले गए और पानी के ऊपर एक मोटी परत बना दी। 

Measurement of Radiation on Mars 

क्यूरियोसिटी रोवर ने यह भी बताएं कि यदि भविष्य में इंसान मंगल ग्रह पर आना चाहते हैं तो उन्हें किस प्रकार के रेडिएशन का सामना करना पड़ेगा। इस जानकारी के आधार पर निर्धारित किया कि मंगल पर देने वाले अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किए जा सकते हैं। 

इसके अलावा भी बहुत महत्वपूर्ण जानकारियां दी। क्यूरियोसिटी रोवर ने बताया कि मंगल ग्रह पर धूल का तूफान उड़ता है और बादल भी आते हैं। मंगल ग्रह पर भी पृथ्वी की तरह मौसम बदलता है। इस साल मंगल ग्रह का नया वर्ष 12 नवंबर 2024 को शुरू हुआ। पृथ्वी के कैलेंडर के अनुसार मंगल ग्रह के 1 वर्ष में 687 दिन होते हैं। हमारे कैलेंडर के अनुसार फरवरी के महीने में मंगल ग्रह पर बादल आएंगे। वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि जैसे पृथ्वी पर बारिश होती है, वर्षा के पानी से वनस्पति एवं जीवन का प्रारंभ होता है। क्या अभी या भविष्य में कभी मंगल ग्रह पर ऐसा हो पाएगा। 

एक्सीडेंट के समय क्यूरियोसिटी रोवर द्वारा क्लिक की गई घटनास्थल की तस्वीर 



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