कमलनाथ का पैकअप - भोपाल के ऑफिस से सरकारी स्टाफ वापस, प्राइवेट टीम टर्मिनेट - NEWS TODAY

Bhopal Samachar
सन 2018 से लेकर 2024 तक कमलनाथ ने मध्य प्रदेश में सक्रिय राजनीति की। पहले प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के पद पर रहे, फिर नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहे। पूरी पार्टी उनकी परिक्रमा कर रही थी परंतु अब बात बदल गई है। भोपाल से कमलनाथ का पैकअप हो गया है। सरकारी स्टाफ वापस कर दिया है और पूरी प्राइवेट टीम टर्मिनेट कर दी गई है। 

6 साल तक पूरी कांग्रेस पार्टी कमलनाथ की परिक्रमा करती रही

कांग्रेस पार्टी के तमाम बड़े नेता, जो नेशनल लेवल की पॉलिटिक्स किया करते थे, सन 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद राज्यों की राजनीति करने चले गए। इस लिस्ट में एक नाम कमलनाथ का भी था। सन 2018 में वह अचानक प्रदेश अध्यक्ष बन गए। फिर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बन गए। मुख्यमंत्री के पद से हटे तो नेता प्रतिपक्ष बन गए। 2018 से लेकर 2023 के विधानसभा चुनाव तक, पूरी कांग्रेस पार्टी कमलनाथ की परिक्रमा कर रही थी। राजधानी भोपाल में उनका एक बड़ा ऑफिस था। यहां पर सरकारी स्टाफ तो था ही, लगभग दो दर्जन लोगों की टीम "जय जय कमलनाथ" यानी उनके प्रचार प्रसार के लिए नियुक्त की गई थी। कई पत्रकारों को वित्त-पोषित किया गया। नतीजा, उनसे मिलने के लिए यदि 100 लोग भी नहीं आते थे, तब भी मीडिया में खबर प्रसारित की जाती थी कि हजारों लोग मिलने आए। 

लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी हार नहीं मानी थी

कमलनाथ का ओवर कॉन्फिडेंस देखिए। छिंदवाड़ा सीट से लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी रक्षाबंधन के अवसर पर भोपाल आए। कार्यकर्ताओं को मिलने के लिए बुलाया। फिर महिला कार्यकर्ताओं को राखी बांधने के लिए बुलाया। कोई नहीं आया। टोटल संख्या 50 भी नहीं थी। फिर भी उनकी टीम ने कहा कि हजारों लोग आए। कार्यकर्ताओं ने उनसे निवेदन किया है कि वह कांग्रेस की कमान संभाल लें। दरअसल इस प्रकार की खबरों को लेकर कांग्रेस में हाई कमान के सामने प्रस्तुत करके फायदा उठाया जाता है। इस बार ऐसा नहीं हुआ। 

बागेश्वर वाले धीरेंद्र कृष्ण गर्ग ने भी पर्ची नहीं निकाल

अंत में बागेश्वर वाले बाबा श्री धीरेंद्र कृष्ण गर्ग के पास पहुंचे। भारतीय राजनीति में दो विरोधी नेताओं के बीच में मध्यस्थता का पुल अक्सर भगवा होता है। कमलनाथ को उम्मीद थी कि बाबा तो मदद करेंगे परंतु बाबा ने भी उनके नाम की पर्ची नहीं निकाल। लास्ट में उन्होंने डिसीजन लिया कि बोरिया बिस्तर समेट कर दिल्ली जाएंगे। रिटायरमेंट प्लान फाइनल हो गया है। इसलिए भोपाल के ऑफिस का पैकअप कर दिया गया है। सरकारी स्टाफ लौटा दिया गया है। जो प्राइवेट टीम सोशल मीडिया पर उनके प्रचार प्रसार के लिए नियुक्त की गई थी। उसे भी हटा दिया गया है। खबर यह भी है कि अपने सभी नजदीकी, वफादार और खास समर्थकों को भी मुक्त कर दिया गया है। 


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