RGPV BHOPAL - पढ़ाई कम लड़ाई ज्यादा का असर, टॉपर्स ने एडमिशन के लिए अप्लाई तक नहीं किया

कोई यूनिवर्सिटी टॉप से बॉटम पर कैसे आ जाती है। यदि आप जानना चाहते हैं तो मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के करंट अफेयर्स पढ़ते रहिए। कुछ सालों पहले तक यह भारत की सबसे प्रतिष्ठित टेक्निकल यूनिवर्सिटी की लिस्ट में शामिल थी। आज स्थिति यह हो गई है कि, JEE के टॉपर्स ने एडमिशन के लिए अप्लाई तक नहीं किया। कट ऑफ में भारी गिरावट दर्ज की गई है। 

फ्लैशबैक संक्षिप्त में 

पिछले कुछ सालों में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल में पढ़ाई कम और लड़ाई ज्यादा हुई है। हॉस्टल में स्टूडेंट्स के बीच में गैंगवार जैसी स्थिति कई बार बनी है। ऐसा कोई दिन नहीं किया जब मारपीट का कोई मामला न हुआ हो। कई मामले तो पुलिस थाने के रजिस्टर में दर्ज तक हो गए हैं। मैनेजमेंट ने इन्हें कंट्रोल करने की कोई कोशिश नहीं की क्योंकि मैनेजमेंट में अपनी लड़ाई चल रही थी। बैंक में फिक्स डिपाजिट को लेकर बड़ा घोटाला पकड़ा गया। शीर्ष स्तर के अधिकारी फरार हुए, गिरफ्तार हुए। कुल मिलाकर पिछले कई सालों में बनाई गई प्रतिष्ठा एक साल में चकनाचूर हो गई। 

RGPV BHOPAL में 1,26,201 रैंक वाले को भी एडमिशन मिल गया

वर्ष 2024 के लिए एडमिशन प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। इस बार भोपाल स्थिति इसके मुख्य कैंपस के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (यूआईटी) में ज्वाइंट इंजीनियरिंग एंट्रेस (जेईई)-2024 की अच्छी रैंक वाले स्टूडेंट्स ने एडमिशन लेने में रुचि नहीं दिखाई। जेईई में 13 लाख से ऊपर रैंक वाले छात्र को भी आरजीपीवी में सीट अलॉट हो गई। साथ ही जेईई नहीं देने वाले छात्रों को सीधे 12वीं की मेरिट के आधार पर प्रवेश लेने के अवसर मिले। सबसे ज्यादा डिमांड में रहने वाली कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (सीएसई) में कटऑफ रैंक में भी गिरावट आई है। पिछले साल 95,703 रैंक वाले छात्र को सीट मिली तो इस साल 1,26,201 रैंक वाले को भी एडमिशन मिल गया।

इन दोनों कॉलेजों को यूनिवर्सिटी बना देना चाहिए

आरजीपीवी से ही संबद्ध इंदौर के SGSITS में सीएसई की कटऑफ रैंक 40,701 रही। ग्वालियर के एमआईटीएस की कट ऑफ रैंक 1,04,251 रही। यानी इन दोनों संस्थानों का परफॉर्मेंस आरजीपीवी के यूआईटी से भी बेहतर रहा। समय आ गया है कि जब इन दोनों कॉलेजों को आरजीपीवी से अलग करके यूनिवर्सिटी बना देना चाहिए, नहीं तो मध्य प्रदेश में तकनीकी शिक्षा का भविष्य अंडा और डंडा रह जाएगा। यह आखरी मौका है। अगले साल हालात संभाला तक नहीं जाएगा। 

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