मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति एवं अनूसूचित जन जाति अधिकारी कर्मचारी संघ बनाम हाईकोर्ट आफ मध्य प्रदेश याचिका क्रमांक 32834/2024 (PIL) का हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश द्वारा 24 घंटे के भीतर फैसला कर दिया गया। 20 नवंबर की शाम को जनहित याचिका की सुनवाई के बाद पक्षकारों को नोटिस जारी किए गए थे और उनका जवाब मिलने से पहले, 21 नवंबर 2024 की शाम से पहले याचिका पर फाइनल डिसीजन सुना दिया गया।
वकीलों को शाम 7:30 बजे सूचना दी गई
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आज देश तथा प्रदेश का ऐतिहासिक फैसला पारित करके सामाजिक न्याय की मिशाल कायम की है। उक्त याचिका की प्रारंभिक सुनवाई दिनांक 20/11/24 को की गई जिसमे हाईकोर्ट तथा मध्य प्रदेश सरकार से जबाब, तलब करके हाईकोर्ट सहित प्रदेश की सम्पूर्ण भर्तियों को याचिका के निर्णय के अधीन कर दी गई थी, लेकिन शाम को 4:45 बजे फुल कोर्ट मीटिंग के बाद उक्त याचिका को पुनः दिनांक 21/11/24 को सूचीबद्ध किया गया तथा उक्त याचिका की पुनः सुनवाई की सूचना संबंधित अधिवक्ताओं को उनके मोबाइल पर शाम 7:30 बजे दी गई।
दीपेंद्र यादव बनाम मध्य प्रदेश शासन - सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया था
उक्त जनहित याचिका की आज दिनांक 21/11/2024 को ठीक 12 बजे सुनवाई की जाकर, मुख्य न्यायमूर्ति श्री सुरेश कुमार कैत तथा न्यायमूर्ति विवेक जैन ने हाईकोर्ट एवं शासन के अधिवक्ता से कहा की इस याचिका में उठाए गए मुख्य बिंदु को सुप्रीम कोर्ट द्वारा SLP 5817/2023 (दीपेंद्र यादव बनाम मध्य प्रदेश शासन) में दिनांक 01/5/2024 को फैसला पारित किया जा चुका है, जिसमे हाईकोर्ट की डिवीजन बैच द्वारा WP /807/2021 में दिनांक 07/04/2022 को पारित निर्णय को अपहेल्ड किया गया है। जिसमे स्पष्ट रूप से कहा गया हैं की चयन परीक्षा के प्रत्येक चरण में अनारक्षित पदों को सभी वर्गों के प्रतिभावान अभ्यर्थियों से ही भरा जाएगा। इसलिए इस याचिका को लंबित रखकर आरक्षित वर्ग के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का मौका नहीं दिया जा सकता तथा हाईकोर्ट की खंडपीठ ने उक्त याचिका का अंतिम रूप से निराकृत करके स्पष्ट निर्देश दिए है कि हाईकोर्ट सहित प्रदे की आगामी समस्त भर्तियों में चयन परीक्षा के हर चरण में (प्रारंभिक तथा मुख्य) में अनारक्षित पदों को सिर्फ व सिर्फ प्रतिभावान अभ्यर्थियों से ही भरे जाएगे चाहे वो किसी भी वर्ग के हों।
सरकारी नौकरी चयन परीक्षा के प्रत्येक चरण में आरक्षण लागू, हाई कोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने फैसला पारित करते समय जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेंदर SINGH की डिवीजन बैच द्वारा याचिका क्रमांक 8750/2022 में पारित फैसला दिनांक 02/01/2023 को कानून एवं सामाजिक न्याय के सम्मत नहीं पाया तथा तत्कालीन चीफ जस्टिस रवि मालिमठ एवं विशाल मिश्रा की खंडपीठ द्वारा 17387/2023 में दिनांक 01/04/2024 को पारित फैसला को भी सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के तथा कानून सम्मत नहीं पाते हुए पटाक्षेप कर दिया तथा कहा कि हाईकोर्ट की डिवीजन बैच द्वारा याचिका क्रमांक 807/2022 में दिनांक 07/04/2024 को पारित फैसला को सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में रेखांकित किया है तथा इसे दीपेंद्र यादव बनाम मध्य प्रदेश शासन में अपहेल्ड किया गया है तथा गुजरात, कलकत्ता, बॉम्बे,दिल्ली, तेलंगाना सहित कई हाईकोर्टस ने इस फैसलों को अपने निर्णयो में रेखांकित किया गया है।
चीफ जस्टिस श्री सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन ने खुले न्यायलय में निर्णय सुनाते हुए उक्त याचिका एलाउ कर दी। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर,विनायक प्रसाद शाह, पुष्पेंद्र शाह ने की।
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