सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज के लिए आठवां वेतनमान के लिए उठापटक शुरू हो गई है और उम्मीद की जा रही है कि, चुनाव के दबाव में शासकीय कर्मचारियों के लिए आठवां वेतन आयोग का गठन हो जाएगा। इसके बाद फिटमेंट फैक्टर बदलेगा। यह 2.57 से बढ़कर 2.86 हो जाएगा। फिटमेंट फैक्टर सिर्फ 0.29 का अंतर आएगा परंतु इसका असर यह होगा कि शासकीय कर्मचारी का न्यूनतम मूल वेतन 17,990 रुपये से बढ़कर 51,451 रुपये हो जाएगा।
आठवां वेतन आयोग का गठन
सातवां वेतन आयोग फरवरी 2024 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा गठित किया गया था। सातवां वेतनमान जनवरी 2016 में लागू किया गया था। दिसंबर 2025 में इसके 10 साल पूरे हो जाएंगे। अर्थात दिसंबर 2025 तक आठवां वेतनमान की सभी प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए। तभी जनवरी 2026 में आठवां वेतनमान लागू हो पाएगा। आठवां वेतन आयोग को अपना ड्राफ्ट तैयार करने से पहले एक लंबी प्रक्रिया का पालन करना होगा। कर्मचारियों के सभी संगठनों से चर्चा करनी होगी। सभी पक्षों को जानने के बाद आयोग द्वारा अपनी सिफारिश का ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा।
आठवां वेतनमान का क्या फायदा होगा
सातवां वेतनमान से पहले भारत में सरकारी कर्मचारियों का न्यूनतम मूल वेतन ₹7000 था। सातवां वेतनमान के कारण मूल वेतन बढ़कर 17990 रुपए हो गया। अब आठवां वेतनमान लागू हुआ तो मूल वेतन 51451 रुपए हो जाएगा। अर्थात 10 साल में मूल वेतन तीन गुना हो जाएगा। यहां उल्लेख करना जरूरी है कि, सभी प्रकार के भत्तों का निर्धारण प्रतिशत के आधार पर होता है। इसलिए मूल वेतन में थोड़ी सी वृद्धि, ग्रॉस सैलरी में बड़ा अंतर देती है। यदि मूल वेतन 3 गुना बढ़ जाएगा तो सकल वेतन पांच गुना से अधिक बढ़ जाएगा।
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