भारत के सबसे बड़े चीता कॉरिडोर का नक्शा फाइनल हो गया है। इसमें मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के टोटल 22 जिलों को शामिल किया गया है। अब तक सिर्फ Kuno National Park ही चीता का घर हुआ करता है। राजस्थान के सवाई माधोपुर के ताज सवाई विलास में आयोजित हुई एक बैठक में यह अनाउंसमेंट किया गया। दिसंबर के महीने में मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच MOU साइन किया जाएगा।
चीता कॉरिडोर में कितने नेशनल पार्क रहेंगे
1500 से 2000 किलोमीटर क्षेत्रफल वाले इस चीता कॉरिडोर से तीनों राज्यों के 22 जिले जुड़ेंगे। यह चीता कॉरिडोर मध्य प्रदेश में श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क, शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क, राजस्थान के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व से होते हुए मंदसौर के गांधी सागर सेंचुरी तक फैला होगा। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी द्वारा प्रस्तावित परियोजना कार्य में इसका खुलासा किया गया है।
समाचार की पुष्टि
राजस्थान के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन पवन कुमार उपाध्याय ने बताया कि बैठक में इनकी फिजिबिलिटी स्टडी, टूरिज्म की संभावना आदि को लेकर दोनों राज्यों के वन अधिकारियों की संयुक्त बैठक हुई। फिजिबिलिटी स्टडी वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ट ऑफ इण्डिया के माध्यम से कराई जाएगी। बैठक में राजस्थान और मध्य प्रदेश के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक, मध्य प्रदेश के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, मुख्य वन संरक्षक और क्षेत्र निदेशक मुकुंदरा, चीता प्रोजेक्ट शिवपुरी के संचालक, वन मंडल अधिकारी, कूनो राष्ट्रीय उद्यान श्योपुर, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रतिनिधि, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
CWLW उपाध्याय ने बताया कि वाइल्ड लाइफ फ्यूचर्ड ऑफ इण्डिया द्वारा जमीन को चिंहित किया गया है। इसमें राजस्थान के 13, एमपी के 12 और यूपी के 2 डिवीजन शामिल है। राजस्थान के 13 डिवीजन में आठ जिले है। इसमें धौलपुर से चित्तौड़गढ़ तक लगभग साढ़े छह हजार से सात हजार स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में चीता के लिए जमीन को चिंहित किया गया है। आगे की स्टडी डब्ल्यूएआई द्वारा की जाएगी।
मध्य प्रदेश के रतलाम से मुरैना जिला तक 13 जिलों में चीता कॉरिडोर
एमपी के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन शुभ रंजन सेन ने बताया कि इसमें एमपी के 13 जिले आ रहे हैं। इसमें राजस्थान से लगे क्षेत्र रतलाम से मुरैना जिला तक कॉरिडोर डेवलप होगा। इस पर चर्चा हुई कि दोनों प्रदेश संयुक्त रूप से कहां-कहां टूरिज्म विकसित कर सकते हैं। चम्बल वाला क्षेत्र, रणथंभौर और कूनो के बीच वाला क्षेत्र है, जिस पर प्लानिंग के तहत काम किया जाएगा। चीता कॉरिडोर में विकसित करने में कुछ परेशानी भी है। मध्यप्रदेश से आगे चीता छोड़ेंगे। ऐसे में संभावना है कि वे राजस्थान आएंगे।
गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने बजट में चीतों की बसावट के लिए घोषणा की थी। इसमें गांधी सागर अभयारण्य, भैंसरोडगढ़ अभयारण्य, चित्तौड़गढ़ और चम्बल अभयारण्य को कूनो नेशनल पार्क से जोड़ने की योजना शामिल है। इसके साथ ही चीतों के विचरण के लिए कॉरिडोर और सफारी बनाने की भी योजना है। इसे लेकर वन विभाग के अधिकारियों की मध्यप्रदेश के अधिकारियों के साथ पहले भी बैठक हो चुकी है।
चीता कॉरिडोर प्रोजेक्ट में शामिल जिलों की लिस्ट
चीता कॉरिडोर प्रोजेक्ट में राजस्थान के 10 जिलों (धौलपुर, करौली, सवाई-माधोपुर, बारां, झालावाड़, कोटा, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा) की सीमा मध्यप्रदेश के 10 जिलों (झाबुआ, रतलाम, मंदसौर, निमच, अगरमालवा, राजगढ़, गुना, शिवपुरी, श्यौपुर, मुरैना) की सीमा से लगती है। इनके आसपास के 5 जिले जहां वाइल्ड लाइफ का मूवमेंट संभावित है। इसी के साथ ही उत्तर प्रदेश के 2 जिले झांसी और ललितपुर इस कॉरिडोर प्रोजेक्ट में शामिल है।
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