सबसे ज्यादा ऑक्सीजन कहां से आती है, जैसे ही हम इस सवाल को सुनते हैं तो हमारे दिमाग में आते हैं बड़े-बड़े पेड़, परंतु क्या आप जानते हैं कि एक बड़े पेड़ से ज्यादा ऑक्सीजन, कई सारे छोटे-छोटे पौधे दे सकते हैं। हम अपने आसपास जो पेड़ पौधे देखते हैं सिर्फ वही पेड़-पौधे नहीं होते इसके अलावा भी अनगिनत पेड़ पौधे ऐसे होते हैं जिन्हें हम नहीं देख पाते। परंतु वह हमारी पृथ्वी पर सबसे ज्यादा ऑक्सीजन लेवल बढ़ा रहे होते हैं। तो चलिए आज 1 मिनट से भी कम समय में इसी सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं।
सबसे ज्यादा ऑक्सीजन कहां से आती है - Where do we get the most oxygen from?
आपको यह जानकर बेहद सुखद आश्चर्य होगा कि हमारी पृथ्वी पर अधिकांश ऑक्सीजन का उत्पादन महासागर (OCEAN) ही करते हैं परंतु ज्यादा मत सोचिए क्योंकि यह तो यह तो अपन बचपन से ही जानते ही हैं कि पृथ्वी पर तीन चौथाई हिस्सा पानी ही है, इसी कारण सारी ऑक्सीजन इतनी सारी ऑक्सीजन महासागर से आती है। बस अब इसमें कुछ पेड़ -पौधों और जीव -जंतुओं के नाम भी शामिल करने हैं यानी पुराने SCHEMA में कुछ नया ऐड करना है।
REAL HEROES OF OUR EARTH - फाइटोप्लांकटन, प्रोक्लोरोकोकस और डायटम क्या है
फाइटोप्लांकटन या पादप लवक (PHYTOPLANKTON): PHYTO MEANS PLANT, PLANKTON MEANS MADE TO WANDER OR DRIFT यानी चलने फिरने वाले बहुत ही सूक्ष्मजीव या शैवाल। इन्हें MICROALGAE या सूक्ष्म शैवाल भी कहा जाता है। ये सूक्ष्म शैवाल अपनी खपत से 10 गुना अधिक ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं।
प्रोक्लोरोकोकस (Prochlorococcus): यह समुद्री साइनोबैक्टीरिया है। इनका कोई सामान्य नाम नहीं है परंतु पहले इन्हें LG (LITTLE GREEN) कहा जाता था और बाद में इन्हें SARG (जिसका अर्थ है स्टारगोसा सी में पैदा होने वाला) कहा जाने लगा। यह जीवाणु पृथ्वी पर सबसे छोटा प्रकाश संश्लेषक जीव है, लेकिन यह हमारे जीवमंडल में 20% तक ऑक्सीजन का उत्पादन करता है।
डायटम (Diatoms): डायटम सामान्यता एककोशिकीय, प्रकाश संश्लेषण करने वाले शैवाल है जिनकी CELL WALL सिलिका या रेत (SILICA) की बनी होती है। ये एककोशिकीय शैवाल कांच जैसे घर बनाते हैं और वैज्ञानिकों का अनुमान है कि हम जो पांच में से एक सांस लेते हैं, उसके लिए ऑक्सीजन इन्हीं से आती है। यह डायटम मृदा का निर्माण भी करते हैं जिसका उपयोग जल के निस्पंदन, टूथपेस्ट बनाने में, त्वचा संबंधी दवाइयां बनाने में, कीटनाशक के रूप में भी किया जाता है।
उपरोक्त खोज किसने और कब की
सैली चिशोल्म (Sallie W. Chisholm), खोज का समय: 1988 - सैली चिशोल्म और उनकी टीम ने 1988 में प्रोक्लोरोकोकस की खोज की। यह पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला और ऑक्सीजन उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला सूक्ष्म प्लैंकटन है। उन्होंने दिखाया कि यह प्लैंकटन महासागरों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के माध्यम से पृथ्वी की लगभग 20% ऑक्सीजन का उत्पादन करता है।
नासा (NASA) और अन्य समुद्री वैज्ञानिक संस्थान, खोज का समय: 1990 के दशक से वर्तमान - नासा के सैटेलाइट आधारित अध्ययनों ने पुष्टि की कि महासागर के डायटम और फाइटोप्लांकटन पृथ्वी के कुल ऑक्सीजन उत्पादन में 50% से 80% तक का योगदान करते हैं। इन शोधों ने महासागर और वायुमंडल के बीच ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के संतुलन को समझने में मदद की।
जॉन मार्टिन (John H. Martin), खोज का समय: 1980 के दशक - जॉन मार्टिन ने फाइटोप्लांकटन के विकास में पोषक तत्वों (विशेष रूप से आयरन) की भूमिका को समझाया और महासागर की उत्पादकता पर इसके प्रभाव को उजागर किया।
निष्कर्ष: महासागरीय फाइटोप्लांकटन पृथ्वी पर सबसे अधिक ऑक्सीजन उत्पादक हैं, जो लगभग 70% से 80% तक ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। प्रोक्लोरोकोकस, जिसका व्यास मात्र 0.6 माइक्रोमीटर है, अकेले पृथ्वी के कुल ऑक्सीजन उत्पादन का 20% करता है। अब आप अगली बार जब भी किसी शैवाल को देखें तो उसको ऑक्सीजन के लिए थैंक यू जरूर बोलिए। उसे नफरत से नहीं, प्यार से देखिए। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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