CAN HUMAN BODIES GLOW IN THE DARK
ब्रह्मांड में सूर्य का अपना प्रकाश होता है जबकि चंद्रमा सहित बाकी सभी ग्रहों का अपना कोई प्रकाश नहीं होता। वह सूर्य के प्रकाश के परावर्तन के कारण हमको दिखाई देते हैं। प्राचीन भारतीय शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान श्री राम सहित पृथ्वी पर माता के गर्भ से जन्मे कई इंसानों के चेहरों पर सूर्य के जैसा तेज दिखाई देता था। करोड़ों लोगों का मानना है कि यह भक्ति में डूबे हुए कवियों और साहित्यकारों द्वारा उनके सौंदर्य के वर्णन का अतिशयोक्ति अलंकार है। चलिए आज अपन पता लगते हैं कि, क्या सचमुच उनके चेहरे से कोई तेज प्रकट होता था या फिर श्री राम एवं कृष्ण सहित सभी लोगों को विशिष्ट दर्जा प्रदान करने के लिए इतिहासकारों और कवियों ने ऐसा लिख दिया है।
WHAT IS BIOLUMINESCENCE - बायोलुमिनेसेंस क्या है
इसके लिए हमें सबसे पहले पृथ्वी पर जीवित प्राणियों की जैव-रासायनिक प्रतिक्रिया (BIO CHEMICAL REACTION) को समझना होगा। NCERT की जीवविज्ञान (BIOLOGY) की BOOK से ज्यादा प्रमाणित कुछ भी नहीं है इसलिए अपन इसी किताब में अपनी रिसर्च करेंगे। इस शब्द BIOLUMINESCENCE में BIO का अर्थ है, जैव (जीवित) और LUMINESCENCE का अर्थ है- प्रकाश या लाइट। तो बायोल्यूमिनिसेंस का सरल अर्थ है "जैवप्रकाशिकता" जिसे सरल शब्दों में हम समझ सकते हैं यह जीवित जीव-जंतुओं द्वारा प्रकाश का उत्सर्जन करने की एक प्रक्रिया है।
जैवप्रकाशिकता क्या है
जैवप्रकाशिकता,एक प्राकृतिक घटना है, जिसमें जीवों के अंदर रासायनिक प्रतिक्रियाएं होती हैं और इनसे मुक्त ऊर्जा प्रकाश में बदल जाती है। बायोल्यूमिनेसेंस एक शक्तिशाली जैविक उपकरण बन गया है जिसका उपयोग चिकित्सा, शरीरक्रिया विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी में किया जाता है।
BIOLUMINESCENCE EXAMPLES - बायोलुमिनेसेंस के उदाहरण
बायोल्यूमिनिसेंस के कुछ प्रचलित उदाहरण है जैसे- जुगनु, जेलीफ़िश, डाइनोफ्लैजेलेट्स, एंग्लरमछली, बायोल्यूमिनसेंट बैक्टीरिया, कवक, ग्लोवर्म, प्लैंकटन आदि। कोई जीव शिकार से बचने के लिए तो कोई जीव शिकार को पकड़ने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं।
BIOLUMINESCENCE BEACH - बायोल्यूमिनिसेंस समुद्री किनारा
रात के अंधेरे में समुद्र के पानी से निकलती रोशनी को देख कोई भी हैरान हो सकता है। रात के समय समुद्र के अंदर की दुनिया का नजारा बेहद अद्भूत होता है। एक फोटोग्राफर ने अपने कैमरे में इस अद्भुत नजारे को कैद किया है। Bioluminescence के नाम से मशहूर इन Beaches के किनारे पानी में नीले रंग की तेज रोशनी चमकती है। तस्मानिया के इन खूबसूरत Beaches के पानी में से निकलने वाली नीले रंग की रोशनी गजब की छटा बिखरेती है।
WHAT IS HUMAN BIOLUMINESCENCE - मानव जैवप्रकाशिता क्या है
हम मनुष्य के शरीर द्वारा भी भी थोड़ी मात्रा में दृश्य प्रकाश उत्सर्जित किया जाता है, जिसे मानव जैव प्रकाशिता के रूप में जाना जाता है। चूंकि यह एक जैव रासायनिक क्रिया है, जिसमें फोटॉन (PHOTON) उत्पन्न होते हैं। फोटोन, प्रकाश के मूल कण होते हैं। बायोल्यूमिनेसेंस की प्रक्रिया में ल्यूसिफ़रिन (Luciferin) नामक पदार्थ का इस्तेमाल होता है यह ल्यूसिफ़रिन, एंजाइम ल्यूसिफ़रेज़ की उपस्थिति मेंऑक्सीजन के साथ मिलकर प्रकाश पैदा करता है।
आप तो अपनी नॉलेज के लिए बस इतना याद रख लीजिए कि ल्यूसिफ़रिन से लाइट आती है। बाकी का काम साइंटिस्ट कर लेंगे।
AMAZING FACTS ABOUT HUMAN BIOLUMINESCENCE - मानव जैवप्रकाशिता के बारे में अद्भुत तथ्य
1.मानव शरीर की चमक, मानवीय आंखों की तुलना में 1,000 गुना कमजोर होती है। इसलिए आसानी से दिखाई नहीं देती।
2.मनुष्य के शरीर में गाल, माथा और गर्दन सबसे अधिक चमकते हैं। (आप चाहे तो इसे चेहरे की चमक या आभा या तेज भी कह सकते हैं)।
3.मानव शरीर के चेहरे की यह चमक ही तो प्रमाण है कि हमारे शरीर के अंदर होने वाली सभी जैव रासायनिक क्रियाएं ठीक प्रकार से चल रही है।
4.तभी तो सारी मम्मियां अपने बच्चों का चेहरा देखते ही समझ जाती है कि उनके बच्चे को कुछ तकलीफ हो रही है।
5.अति-संवेदनशील कैमरों ने मानव जैव-प्रकाश की पिक्चर्स तक कैद की हैं।
उदाहरण के लिए, तोहोकू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के "मसाकी कोबायाशी" ने एक ऐसे कैमरे का उपयोग किया जो एकल फोटॉन (SINGLE PHOTON) के स्तर पर प्रकाश का पता लगा सकता है।
भगवान श्री राम एवं श्री कृष्ण का शरीर नीला क्यों था
इस प्रकार प्रमाणित होता है कि सिर्फ भगवान ही नहीं बल्कि हमारे और आपके चेहरे पर भी सूर्य की तरह एक अपना प्रकाश होता है, जिसे हमारे साहित्यकारों ने "चेहरे का तेज" पुकारा है। शायद यही कारण है कि हमारे चेहरे पर कभी-कभी पसीने की बूंदे चमकने लगतीं हैं। आपको याद होगा, भारतीय धर्म ग्रंथो में भगवान श्री राम एवं श्री कृष्ण का शरीर नीले रंग का बताया गया। अब अपन यह विश्वास पूर्वक कह सकते हैं कि भगवान श्री राम के शरीर का नीला रंग प्रतीकात्मक और सांस्कृतिक व्याख्या नहीं है बल्कि Bioluminescence है। हम इस बात की संभावना से इनकार नहीं कर सकते कि कुछ मनुष्यों के चेहरे पर यह प्राकृतिक चमक सामान्य से अधिक होती होगी। यदि हम इलेक्ट्रिसिटी के बिना अमावस्या की रात में देखेंगे तो शायद आज भी हमको ऐसे कुछ इंसान मिल जाएंगे। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article.
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