यदि न्यायालय किसी व्यक्ति को आरोपी की गिरफ्तार करने का आदेश देता है और थोड़ा बहुत सिविल बल का प्रयोग करना पड़ता है, तो यह अपराध नहीं होगा। इसी तरह, यदि न्यायालय किसी प्राइवेट व्यक्ति को आरोपी को कुछ समय के लिए बंदी बनाकर रखने का आदेश देता है, तो यह भी अपराध नहीं होगा जानिए।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 16 की परिभाषा
अगर कोई भी व्यक्ति न्यायालय के आदेश या निर्णय का पालन विधि को ध्यान में रखते हुए कर रहा है तब वह किसी भी प्रकार का अपराध नहीं माना जाएगा। अर्थात न्यायालय किसी व्यक्ति को यह आदेश देता है कि आप आरोपी की गिरफ्तार करके न्यायालय में पेश करे अगर थोड़ा बहुत सिविल बल का प्रयोग करना पड़े तो आप कर सकते हैं ऐसे में व्यक्ति द्वारा आरोपी को गिरफ्तार करते समय आरोपी के साथ थोड़ी बहुत मार-पीठ अपराध नहीं होगी।
अर्थात न्यायालय किसी व्यक्ति को आदेश देता है कि वो आरोपी को कुछ समय के लिए किसी अन्य स्थान पर बंदी बनाकर रखे तब यह कार्य अपराध नहीं होगा क्योंकि यह विधि के अनुसार किया गया है। कुलमिलाकर, यह धारा न्यायालय के आदेशों का पालन करने वाले व्यक्तियों को संरक्षण प्रदान करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि वे अपराध के लिए दोषी नहीं माने जाएंगे। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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