कम उम्र के बच्चों को समझ नहीं होती है एवं भगवान भी उनकी गलती को भी माफ कर देते हैं। ऐसे में हम बात करे बाल-विकास अर्थात बच्चों के विकास की तो इनकी आई.क्यू. क्षमता 80-85 के बीच होती है जो क्षीण बुद्धि या मंद बुद्धि के अंतर्गत आती है। इसी प्रकार कानून में भी सात साल से कम आयु के बालकों से कोई अपराध हो जाता है, तो कानून उसे माफ कर सकता है जानिए :
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 20 की परिभाषा
अगर किसी सात वर्ष से कम आयु के बालक या बालिका द्वारा कोई अपराध हो जाता है, तब उनका अपराध BNS की धारा 20 के अंतर्गत क्षमा योग्य होगा। ना तो उसे कोई सजा दी जाएगी और ना ही उसके पेरेंट्स को इसके लिए दंडित किया जा सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं, कोई भी राज्य सरकार इस प्रकार का कोई कानून नहीं बना सकती।
उधारानुसार जानिए महत्वपूर्ण जजमेंट
1. बाबू सेन बनाम सम्राट- के मामले में यह स्पष्ट किया गया कि IPC की धारा 82 (अब BNS की धारा 20) के अंतर्गत सात वर्ष से कम आयु के बच्चों को आपराधिक दायित्व से पूर्ण उन्मुक्ति केवल भारतीय दण्ड संहिता की धारा 82 (अब BNS की धारा 20) ही नहीं देती है यह उन सभी स्थानीय विधि, विशिष्ट विधियाँ पर भी लागू होता है।
2. श्याम बहादुर बनाम राज्य:- मामले में सात वर्ष से कम आयु के एक बालक को सोने की एक तश्तरी पड़ी मिली जिसकी उसने कही भी रिपोर्ट नहीं लिखवाई और अपने पास रख ली, परन्तु फिर भी उसके विरुद्ध कोई अभियोजन नहीं चलाया जा सका। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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