अगर कोई व्यक्ति स्वयं को डॉक्टर बताता है, मरीज का इलाज करने की सहमति ले लेता है, वास्तव में वह डॉक्टर नहीं वह डॉक्टर का कंपाउंडर है, तब उसके द्वारा ली गई स्वीकृति अपराध होगी अर्थात किसी भी व्यक्ति को गुमराह करके ली गई सहमति भारतीय न्याय संहिता में किसी भी प्रकार से क्षमा योग्य नहीं होती हैं जानिए।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 28 की परिभाषा
अगर किसी व्यक्ति से डरा-धमका कर,किसी भी प्रकार का भय दिखा कर, किसी भी प्रकार से गुमराह या भ्रम में डाल कर या 18 वर्ष से कम व्यक्ति या कोई पागल व्यक्ति या किसी को उसकी इच्छा के विरुद्ध नशीली दवा पिलाकर ली गई सहमति BNS की धारा 28 के अंतर्गत अवैध होगी अर्थात् ऐसे किसी व्यक्ति को BNS की धारा 25,26,27 के अंतर्गत कोई बचाव नहीं दिया जाएगा। अर्थात किसी व्यक्ति से डरा-धमका कर, भय दिखा कर, गुमराह करके, या भ्रम में डालकर ली गई सहमति अवैध होगी।
उदाहरण:
1. कोई व्यक्ति किसी महिला को धमकी देकर उसकी सहमति लेता है, यह सहमति अवैध है।
2. कोई कंपाउंडर खुद को डॉक्टर बताकर मरीज की सहमति लेता है, यह सहमति अवैध है।
3. कोई व्यक्ति को जबरदस्ती शराब पिलाकर उसकी सहमति लेता है, यह सहमति अवैध है।
4. कोई व्यक्ति को भ्रम में डालकर उसकी सहमति लेता है, यह सहमति अवैध है।
इसमे अवश्य तत्व निम्न है:-
- डर-धमका कर ली गई सहमति अवैध है।
- भय दिखा कर ली गई सहमति अवैध है।
- गुमराह करके ली गई सहमति अवैध है।
- भ्रम में डालकर ली गई सहमति अवैध है।
- 18 वर्ष से कम व्यक्ति या पागल व्यक्ति से ली गई सहमति अवैध है।
- नशीली दवा पिलाकर ली गई सहमति अवैध है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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