Business ideas - ना कुछ बनाना, ना बेचना, 1 लाख महीने की कमाई, पूंजी सिर्फ 3 लाख

Bhopal Samachar

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यह बिजनेस आइडिया हर किसी के लिए सूटेबल है। भारत के हर शहर में सफल हो सकता है। ना तो किसी डिग्री डिप्लोमा की जरूरत है और ना ही किसी ट्रेनिंग की, क्योंकि ना तो कोई मशीन चलाना है। ना कोई प्रोडक्ट बनाना है और ना ही कोई प्रोडक्ट बेचना है। इसके बावजूद सिर्फ ₹300000 पूंजी लगाकर ₹100000 महीने की कमाई बड़े आराम से कर सकते हैं। 

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भारत के लोगों में कई प्रकार के अंतर पाए जाते हैं परंतु एक भावना पूरे भारत में समान रूप से पाई जाती है। प्रत्येक व्यक्ति चाहे उसका जीवन कितने भी संघर्ष में क्यों ना हो। अपने बच्चों को वह सारी खुशियां देना चाहता है। मां की गोद और पिता का आश्रय के बाद 0-5 साल के बच्चे की सबसे बड़ी खुशी होती है "खिलौना"। नया खिलौना देखते ही बच्चा मचल उठता है और उसे पाते ही, बच्चों का चेहरा चमक उठता है। बच्चों के चेहरे पर इसी चमक को देखने के लिए, कई बार पिता अपना चश्मा खरीदने से पहले बच्चों के लिए खिलौने खरीदते हैं। यही कारण है कि भारत में हर साल 10000 करोड़ से ज्यादा के खिलौने खरीदे जाते हैं। सन 2023 में भारत के बाजार में 14000 करोड़ के खिलौने खरीदे गए। भारत में खिलौना उद्योग 10.9% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ बढ़ रहा है और सन 2032 तक इसके 36000 करोड़ तक पहुंचाने की संभावना है। इस वृद्धि का एक बड़ा कारण यह भी है कि बच्चे एक खिलौने से अधिकतम एक सप्ताह में बोर हो जाते हैं। उन्हें फिर एक नया खिलौना चाहिए।

अब ध्यान से पढ़िए कि आपको कौन सा बिजनेस करना है

अपन को ना तो खिलौने बनाने की फैक्ट्री खोलने है और ना ही डोर टू डोर खिलौना बेचना है। अपन को एक दुकान खोलना है लेकिन यह दुकान TOY SHOP नहीं होगी बल्कि TOY LIBRARY होगी। यहां बच्चों के लिए बहुत सारे खिलौने होंगे, जो किराए पर उपलब्ध होंगे। वह जब तक चाहे खिलौने के साथ खेल सकता है। जब बोर हो जाए तो खिलौना बदल जाएगा। अर्थात बच्चों को हर सप्ताह नया खिलौना मिलेगा। यह बिजनेस आइडिया सबके लिए फायदेमंद है। बच्चा खुश क्योंकि उसे हर सप्ताह नया खिलौना मिलेगा। पेरेंट्स खुश क्योंकि उन्हें हर सप्ताह नया खिलौना खरीदना नहीं पड़ेगा, न्यूनतम किराए पर उपलब्ध हो जाएगा। पेरेंट्स डबल खुश क्योंकि, जो महंगे खिलौने वह खरीद नहीं सकते थे, उसे किराए पर लेकर अपने बच्चों को खुशियां दे सकते हैं। और आप खुश क्योंकि आपकी दुकान चल रही है। कमाई हो रही है। 

बाजार में प्राइम लोकेशन नहीं चाहिए, शहर में किसी भी लोकेशन पर ग्राउंड फ्लोर पर एक हाल की जरूरत है। आपको सिर्फ इन्वेंटरी मैनेज करनी है। यदि मार्केट में कोई नया खिलौना लॉन्च होता है तो सबसे पहले आपकी दुकान पर होना चाहिए। जिस खिलौने की डिमांड ज्यादा है, आपकी दुकान में उसकी संख्या भी ज्यादा होनी चाहिए। आपको सिर्फ इतना सा मैनेज करना है कि कोई भी बच्चा निराश होकर वापस न जाए। याद रखिए बच्चा एक ऐसा ग्राहक है, यदि उसे आपकी दुकान पसंद आ गई तो उसके PAPA भी उसे आपके यहां आने से रोक नहीं पाएंगे। 

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कॉलेज स्टूडेंट्स एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए बड़ी ही बढ़िया बिज़नेस अपॉर्चुनिटी है। इस बिजनेस को आपका हंड्रेड परसेंट अटेंशन नहीं चाहिए। अर्थात आप अपनी पढ़ाई के लिए मेंटली फ्री रहते हैं। रही बात दुकान पर प्रजेंट रहने की तो ज्यादातर बच्चे शाम के समय आते हैं, जब उनके पेरेंट्स ऑफिस से वापस लौट आते हैं। आपको इसी प्राइम टाइम में अपनी दुकान पर रहना है। बाकी समय के लिए एक असिस्टेंट अप्वॉइंट कर सकते हैं। 

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भारत में महिलाओं का बच्चों से एक अलग ही रिश्ता होता है। हर बच्चा कन्हैया होता है और हर महिला यशोदा। अर्थात बच्चा किसी का भी हो, भारत की हर महिला में उसके प्रति ममता जरूर होती है और इसी प्रकार भारत का हर बच्चा प्रत्येक महिला में अपनी मां देख लेता है। यही कारण है कि यह बिजनेस आपको डबल बेनिफिट देगा। एक तरफ कमाई होगी और दूसरी तरफ बच्चों को उनकी पसंद का खिलौना देकर आपको भी खुशी मिलेगी। 

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सेवानिवृत्त शासकीय कर्मचारियों के लिए यह एक शानदार और आनंददायक बिज़नेस अपॉर्चुनिटी है। कमाई तो होगी ही, आसपास के कई परिवारों के साथ मेल मुलाकात होगी, और हर रोज बच्चों से मिलने को मिलेगा। दुनिया में किसी भी व्यक्ति के पास इतने सारे बेटे-बहु, बेटियां-दामाद और नाती-पोते नहीं होंगे, जितने आपके पास होंगे। रिटायरमेंट के बाद किसी को इससे ज्यादा क्या चाहिए।

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आपकी प्रॉपर्टी आपके पास में रहेगी और किराया भी मिलेगा। यह किराया ही आपका रेवेन्यू है और इसी में से आपका प्रॉफिट निकलेगा। प्रत्येक खिलौने का किराया, उसकी कीमत के आधार पर निर्धारित किया जाएगा परंतु किराया निर्धारित करने का फार्मूला एक ही होगा। खिलौने की कीमत का 1% X खिलौने की आयु का शेष भाग। उदाहरण के लिए एक खिलौना ₹1000 का है और उसकी औसत आयु 5 महीने हैं तो ₹1000 का 1% = ₹10X7 (12 महीने में से 5 महीने घटाने पर, बचे हुए महीने) यानी उसे खिलौने का किराया ₹70 प्रतिदिन होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. 

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