उपभोक्ता मामले विभाग ने देश भर में जिला और राज्य उपभोक्ता आयोगों में रिक्तियों की वर्तमान स्थिति पर समीक्षा बैठक का आयोजन किया। उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव श्रीमती निधि खरे की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के संबंधित विभागों के प्रधान सचिवों, निदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए आयोग अनिवार्य
डीओसीए सचिव ने कहा कि यह आवश्यक है कि रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरा जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उपभोक्ता विवादों/मामलों को शीघ्र और कुशलता से निपटाया जा सके। उन्होंने देश भर में उपभोक्ता आयोगों में रिक्त पदों को भरने के लिए योग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति में तेजी लाने की जरूरत पर बल दिया। सचिव ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों से इन पदों को भरने को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता आयोगों का प्रभावी कामकाज उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा और सेवा मानकों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
जिला से लेकर राज्यों तक टोटल 600 पद रखते हैं
बैठक में देश भर में रिक्तियों के आंकड़ों का गहन विश्लेषण किया गया। अक्टूबर 2024 तक, जिला और राज्य उपभोक्ता आयोगों में अध्यक्ष और सदस्य के पदों पर महत्वपूर्ण रिक्तियां बनी हुई हैं। राज्य आयोगों में अध्यक्ष के कुल 18 पद और सदस्यों के 56 पद रिक्त हैं। इसी तरह, देश भर के जिला आयोगों में अध्यक्ष के 162 पद और सदस्यों के 427 पद रिक्त हैं। यह भी देखा गया कि सभी के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद उपभोक्ता आयोगों में रिक्तियों में पिछले वर्षों की तुलना में काफी वृद्धि हुई है। सचिव (सीए) ने उपभोक्ता आयोगों में इन बढ़ती रिक्तियों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से तेजी से कार्य करने और इस चुनौती का समाधान करने का आग्रह किया।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 32
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के सक्षम प्रावधानों का संदर्भ देते हुए और वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने अधिनियम, 2019 की धारा 32 के प्रावधानों की ओर ध्यान आकर्षित किया, जो आवश्यकता पड़ने पर किसी अन्य जिला आयोग को अतिरिक्त प्रभार सौंपने की अनुमति देता है, ताकि जिला उपभोक्ता आयोग कार्यात्मक बने रहें।
बैठक में इस विषय पर राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के साथ सार्थक वार्तालाप भी हुआ। बैठक के दौरान इस बात पर आम सहमति बनी कि सुनवाई में देरी से बचने और लंबित मामलों को कम करने के लिए रिक्तियों को भरना आवश्यक है, जो उपभोक्ता न्याय को प्रभावित करते हैं। मंत्रालय उपभोक्ता आयोगों में रिक्तियों को भरने के लिए एक कुशल, उद्देश्यपूर्ण और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों के साथ मिलकर कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह पहल उपभोक्ता निवारण तंत्र को मजबूत बनाने के प्रति मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसका उद्देश्य पूरे देश में दक्षता को बढ़ाना है।
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