संरक्षक(देखरेख) करने वाला व्यक्ति वह व्यक्ति होता है जो किसी व्यक्ति का भरण-पोषण एवं उसकी सुरक्षा करता है अर्थात हम कह सकते हैं कि माता-पिता 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के संरक्षक होते हैं एवं एक पागल व्यक्ति के हितों को ध्यान में रखने वाला उसका संरक्षक हो सकता है आदि। कभी-कभी स्थिति ऐसी हो जाती है कि किसी शिशु या पागल व्यक्ति की गम्भीर बीमारी का इलाज करना हैं तब डॉक्टर को इलाज करने के लिए मरीज से अनुमति नहीं ले सकता है उसके संरक्षक से अनुमति लेनी होती है जानिए नहीं उसके किसी संरक्षित से स्वीकृति लेनी होगी।
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 27 की परिभाषा
ऐसी कोई बात अपराध नहीं होगी जो बच्चों के संरक्षक या पागल व्यक्ति के संरक्षक या कोई बेहोश व्यक्ति के संरक्षक द्वारा सहमति से उसके हितों की रक्षा या फायदा के लिए सावधानीपूर्वक किया जा रहा कार्य और उसने कोई गंभीर खतरा हो जाए। अर्थात डॉक्टर द्वारा पिता की सहमति से किया जा रहा बच्चे का ऑपरेशन क्योंकि इसमे बच्चे का हित एवं फायदा होगा ऐसी स्थिति में बच्चे की मौत हो जाए तब न तो पिता(संरक्षक) अपराधी होगा न ही इलाज करने वाला डॉक्टर दोनों को BNS की धारा 27 के अंतर्गत माफ किया जाएगा।
अगर माता-पिता अपने बच्चों को बिना आपराधिक उद्देश्य से सावधानीपूर्वक बच्चों पर हाथ उठाते हैं और सामान्य मारपीट से बच्चे की मृत्यु हो जाए तब ऐसे माता पिता या संरक्षक को BNS की धारा 27 अंतर्गत क्षमा कर दिया जाएगा। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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