मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा कृषि उत्पादक देश है। टाइगर स्टेट है और अब यही मध्य प्रदेश मिल्क प्रोडक्शन में नंबर वन और एलीफेंट स्टेट बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इसके लिए राज्य स्तरीय टास्क फोर्स का ऐलान कर दिया है। फिलहाल कर्नाटक, हाथियों का सबसे बड़ा घर है। यहां पर 6000 से अधिक हाथी रहते हैं। भारत में हाथियों की कुल आबादी 30000 से अधिक और 40000 से कम है।
मध्य प्रदेश में हाथी और किसानों की दोस्ती कराई जाएगी
मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में राज्य स्तरीय हाथी टास्ट फोर्स गठित किया जाएगा। हाथी- मानव सह अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए हाथी मित्र बनाए जाएंगे। जिन क्षेत्रों में हाथियों की आवाजाही अधिक है वहां किसानों की फसलों को बचाने के लिए सोलर फेंसिंग की व्यवस्था होगी। यही नहीं किसानों को कृषि के अलावा कृषि वानिकी एवं अन्य वैकल्पिक कार्यों से भी जोड़ने के प्रयास होंगे। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में आने वाले समय में ऐसे वन क्षेत्र विकसित किए जाएंगे, जिसमें हाथियों की बसाहट के साथ सह अस्तित्व की भावना मजबूत हो सके।
हाथियों को मध्य प्रदेश के जंगलों ने मोह लिया
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि बांधवगढ़ क्षेत्र एवं अन्य वन क्षेत्रों में हाथियों के रहने की अनुकूल और आकर्षक स्थिति है। वन क्षेत्रों का प्रबंधन उत्तम होने से हाथियों के दल जो छत्तीसगढ़ एवं अन्य राज्यों से आया करते थे और वापस चले जाते थे वे अब वापस नहीं जा रहे हैं। यहां बड़े पैमाने पर हाथियों द्वारा डेरा डालने की स्थिति देखी जा रही है। यह मध्यप्रदेश की वन विभाग की गतिविधियों का हिस्सा बन गए हैं। ऐसे में हाथियों की गतिविधियों को देखते हुए स्वाभाविक रूप से स्थाई प्रबंधन के लिए शासन के स्तर पर हाथी टास्क फोर्स बनाने का निर्णय लिया जा रहा है।
मध्य प्रदेश में कर्नाटक, केरल और असम की बेस्ट प्रेक्टिसेस अप्लाई करेंगे
हाथियों को अन्य वन्य प्राणियों के साथ किस तरह रहवास की सावधानियां रखना चाहिए, इसके लिए योजना बनाई जा रही है। इसमें कर्नाटक, केरल और असम जैसे राज्यों की बेस्ट प्रेक्टिसेस को शामिल किया जाएगा। इन राज्यों में बड़ी संख्या में हाथी रहते हैं। इन राज्यों में मध्यप्रदेश के अधिकारियों को भेजा जाएगा ताकि सहअस्तित्व की भावना के आधार पर हाथियों के साथ बफर एरिया, कोर एरिया में बाकी का जन जीवन प्रभावित न हो, इसका अध्ययन किया जाएगा। हाथियों की सुरक्षा को भी खतरा न हो। इस पर हमने गंभीरता से विचार किया है।
महत्वपूर्ण उपाय लागू करने विशेषज्ञों को आमंत्रित करेंगे
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि वन क्षेत्र में जो अकेले हाथी घूमते हैं और अपने दल से अलग हो जाते हैं इनको रेडियो टेगिंग का निर्णय लिया गया है। ट्रेकिंग कर उन पर नजर रखी जा सकेगी। आने वाले समय में ऐसी घटना न हो, भविष्य में इसका ध्यान रखा जा सकेगा। यह इस दिशा में ठोस कार्यवाही होगी। ऐसे अन्य महत्वपूर्ण उपायों को लागू करने के लिए विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा।
हाथी अब मध्य प्रदेश के वन्य प्राणी परिवार का हिस्सा बन गए हैं
हाथियों का दल स्थाई रूप से मध्यप्रदेश में रहने लगा है अत: आम जन से भी सहयोग की अपेक्षा है। जिन जिलों में हाथियों की बसाहट है वहां बेहतर प्रबंधन के लिए जिला प्रशासन के माध्यम से जन जागरूकता के प्रयास किए जाएंगे। लोगों को आवश्यक जानकारी दी जाएगी। प्रदेश में टाइगर और अन्य वन्य प्राणी जिस तरह स्थाई निवास करते हैं, अब हाथी भी हमारे वनों का हिस्सा बन गए हैं।
मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन बैठक से वर्चुअल रूप से शामिल हुए। बैठक में अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय डॉ राजेश राजौरा, पुलिस महानिदेशक श्री सुधीर कुमार सक्सेना, मुख्यमंत्री के सचिव श्री भरत यादव, आयुक्त जनसम्पर्क डॉ सुदाम खाड़े और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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