शिक्षकों की क्रमोन्नति के मामले में संयुक्त संचालक लोक शिक्षण ग्वालियर की एक बार फिर शिकायत मिली है। किसी घोषित नीति अथवा निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है बल्कि प्रयास किया जा रहा है कि ज्यादा से ज्यादा शिक्षकों की क्रौन्नति के आदेश को पेंडिंग किया जाए और मनमाने तरीके से चुनिंदा शिक्षकों के क्रमोन्नति आदेश जारी किए जा रहे हैं।
संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग ग्वालियर पर आरोप
लोक शिक्षण संचालनालय, मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा 5 सालों के लंबे इंतजार के बाद, पिछले साल यानी सितंबर 2023 में नवीन शिक्षक संवर्ग के शिक्षकों की क्रमन्नति के नियम जारी किए गए थे। मध्य प्रदेश के कई जिलों में डीपीआई भोपाल द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करते हुए शिक्षकों की क्रमन्नति के आदेश जारी किए गए परंतु संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग ग्वालियर द्वारा, निर्धारित नियमों का दुरुपयोग किया जा रहा है। समानता एवं पहले आओ पहले पाओ के सिद्धांत का पालन नहीं किया जा रहा है। मनमाने तरीके से क्रमोन्नति आदेश जारी किए जा रहे हैं।
संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग ग्वालियर पर आरोप का आधार
9 सितंबर 2024 को संयुक्त संचालक महोदय लोकशिक्षण ग्वालियर द्वारा क्रमोन्नति हेतु अपात्र शिक्षकों की सूची जारी की गई थी। जिसमें लगभग 1250 शिक्षकों के नाम थे। जिनमें से सरल क्रमांक 947 से 990 तक मात्र 44 नाम शिवपुरी जिले के थे। उन सभी शिक्षकों की फाइलों में लगी आपत्तियों की पूर्ति कर दस्तावेज जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा संयुक्त संचालक कार्यालय पहुंचा दिए गए थे। उसके उपरांत संयुक्त संचालक कार्यालय से पुनः 8 अक्टूबर 2024 को क्रमोन्नति आदेश की नई सूची जारी की गई जिसमें उस अपात्र सूची के सैकड़ों शिक्षकों के आदेश भी जारी किए गए।
उस सूची में भी शिवपुरी के अपात्र सूची के 44 शिक्षकों में से सरल क्रमांक 974 से 982 तक तथा सरल क्रमांक 964 कुल 10 शिक्षकों के ही क्रमोन्नति आदेश जारी किए गए। उसमें भी 10 शिक्षकों में से 9 शिक्षक एक ही संकुल के हैं। जबकि आपत्तियों का निराकरण सूची में दिए गए शिवपुरी के समस्त शिक्षकों का कर दिया गया था।
यह बात समझ से परे है कि जब आपत्ति का निराकरण सभी 44 शिक्षकों का कर दिया गया था तो फिर उनमें से मात्र 10 को क्रमोन्नति क्यों दी गई, शेष के आदेश क्यों रोक लिए गए। संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग ग्वालियर को इस मामले में स्थिति स्पष्ट करना चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि वह, तब तक किसी भी शिक्षक का क्रमोन्नति आदेश जारी नहीं गिर रहे हैं जब तक कि, संबंधित शिक्षक से उन्हें कोई व्यक्तिगत लाभ अथवा उपहार प्राप्त नहीं हो रहा है। इस आरोप को प्रमाणित करने के लिए शिक्षकों के पास लोकायुक्त ग्वालियर का भी रास्ता है। फिलहाल यह मामला सफेद और गली के बीच में ग्रे लाइन पर मौजूद है। अब देखना यह है कि, संयुक्त संचालक स्थिति स्पष्ट करते हैं अथवा शिवपुरी के शिक्षक लोकायुक्त जाकर अपने आरोप प्रमाणित करते हैं।
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