मप्र स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत लोक शिक्षण संचालनालय की पॉलिटिक्स का शिकार हुए नवनियुक्त अतिथि शिक्षकों पर ब्लैकलिस्टिंग का खतरा पैदा हो गया है। इधर अतिथि शिक्षकों को पढ़ाने का समय नहीं मिला और उधर यदि रिजल्ट खराब हुआ तो अतिथि शिक्षक को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा। अगले सत्र में आवेदन भी नहीं कर पाएंगे।
स्कूल शिक्षा मंत्री की चाल देखो
मध्यप्रदेश में फरवरी-मार्च में परीक्षाओं का दौर शुरू हो जाएगा, जबकि नवम्बर आधा बीत जाने के बावजूद अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया सम्पन्न नहीं हुई है। पूर्व में लगभग 70 हजार अतिथि शिक्षक थे, अब सिर्फ 35 हजार बचे हैं। अतिथि शिक्षक, नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री विधानसभा चुनाव 2023 से पहले अतिथि शिक्षकों को नियमित करने की घोषणा कर चुके हैं। ऐसी स्थिति में, डीपीआई की इस एक चाल से हजारों अनुभवी अतिथि शिक्षक बाहर हो जाएंगे। नए अतिथि शिक्षक 5 साल तक नियमितीकरण की मांग नहीं करेंगे।
3 महीने में कोर्स करवाओ, नहीं तो नमस्ते
जो अतिथि शिक्षक हाल में नियुक्त किए गए हैं या नवम्बर के शेष दिनों में नियुक्त किए जाने वाले हैं, उन्हें छात्रों को पढ़ाने के लिए मुश्किल से तीन महीने का समय मिलेगा। इतने कम टाइम में तो कोई भी कोर्स पूरा नहीं करवा पाएगा। आधा साल बीत गया। छात्रों की पढ़ाई शुरू नहीं हुई। अब अचानक वो मेधावी विद्यार्थियों की तरह पढ़ाई में नहीं लगेंगे। माहौल ही खराब हो गया है। इसका सीधा असर परीक्षा परिणाम पर पड़ेगा। यदि 30 प्रतिशत से कम रिजल्ट आया तो अतिथि शिक्षक जिम्मेदार होगा। उसे हटा दिया जाएगा। पिछले साल इसी प्रकार का कलंक लगाकर 5000 अतिथि शिक्षकों को हटा दिया गया था। इस साल 25 हजार का टारगेट है।
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