कांग्रेस के नेता श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने, केंद्रीय मंत्री बनाए जाने और उनकी इच्छा के अनुसार चुनाव में टिकट वितरण के बाद ऐसा लगने लगा था कि ग्वालियर-चंबल में संघ की तुलना में सिंधिया अधिक शक्तिशाली और अधिक प्रभावशाली हो गए हैं। आज मोहन भागवत ने महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर जाकर, यह मैसेज लाउड एंड क्लियर कर दिया है कि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ना तो सिंधिया के दबाव में है और ना ही सिंधिया के प्रभाव में है।
सिंधिया के योगदान से लक्ष्मीबाई का बलिदान अधिक महत्वपूर्ण है
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन मधुकरराव भागवत ने आज ग्वालियर में महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि की परिक्रमा की और श्रद्धांजलि अर्पित की। केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया दावा करते हैं कि, उनके पूर्वजों ने हिंदवी स्वराज की स्थापना के लिए मुगलों से संघर्ष और स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी है। श्री सिंधिया यह भी कहते हैं कि उनके पूर्वजों ने महारानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे की मदद की थी। भारत में हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना, स्वतंत्रता का संघर्ष और भारत के विकास में सिंधिया परिवार का महत्वपूर्ण योगदान है। लेकिन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन मधुकरराव भागवत ने सिर्फ महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि की परिक्रमा की। सिंधिया के पूर्वजों की छतरी के नजदीक से भी नहीं गुजरे। इस प्रकार उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया की राजनीति कुछ भी हो, परंतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारकों के अध्ययन और अनुसंधान को झुठलाया नहीं जाएगा।
संघ और संगठन पर हावी सिंधिया का संदर्भ क्या है
इसमें कोई विवाद नहीं कि, विचारधारा, राम मंदिर आंदोलन और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में राजमाता विजयाराजे सिंधिया का महत्वपूर्ण योगदान है परंतु कालांतर में इस योगदान की भरपूर वसूली भी की गई थी। ग्वालियर-चंबल संभाग में राजमाता का वचन ही शासन हुआ करता था। भारतीय जनता पार्टी की पहचान राजमाता से शुरू होकर राजमाता पर खत्म होती थी। यदि कोई राजमाता का भक्त नहीं है तो वह भाजपा में प्राथमिक सदस्य से अधिक कुछ नहीं बन पाएगा। कई बार तो ऐसा भी हुआ जब संघ के निर्देश पर भाजपा द्वारा अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया गया और राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने उसके खिलाफ अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। फिर प्रशासनिक मशीनरी का उपयोग कुछ इस तरीके से किया गया कि, भाजपा का प्रत्याशी अपना चुनाव प्रचार तक नहीं कर पाया।
बात बहुत पुरानी नहीं है इसलिए भाजपा में श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की बढ़ती हुई ताकत को देखकर, वरिष्ठ नेताओं में चिंता बढ़ गई थी। ✒ उपदेश अवस्थी।
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