MP NEWS - जीतू पटवारी के खिलाफ लक्ष्मण सिंह ने मोर्चा खोला, कहा: कांग्रेस प्राइवेट लिमिटेड नहीं

Bhopal Samachar
मध्यप्रदेश की राजनीति भी गजब है। जीतू पटवारी, कमलनाथ के खिलाफ, दिग्विजय सिंह के सहयोग के कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने और दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 

कांग्रेस एक पार्टी है, प्राइवेट कंपनी नहीं है

लक्ष्मण सिंह ने कहा- यह तरीका नहीं है, यह कोई प्राइवेट कंपनी नहीं है कि एमडी जो चाहेगा वह होगा। अध्यक्ष, अध्यक्ष होता है। अध्यक्ष एमडी नहीं होता। कांग्रेस एक पार्टी और संगठन है, इसलिए उनको चाहिए कि बहुत सारे हमारे जैसे लोग कार्यकर्ता हैं, जिनको अभी चांस नहीं मिला। बीजेपी प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने पूर्व सांसद लक्ष्मण सिंह का वीडियो X पर शेयर किया। वीडियो में लक्ष्मण सिंह कह रहे हैं कि, सवाल मेरा नहीं है। सवाल उनका है, जो वर्षों से कांग्रेस का काम कर रहे हैं और जिनको सालों तक काम करने का अनुभव है। आज तक हम जिनको कोई चुनाव नहीं लड़ा पाए, हम कोई पद नहीं दे पाए, ऐसे बहुत सारे हमारे साथी हैं। पुरुष भी हैं, महिलाएं भी हैं।

पहले सबकी राय ली जाती थी

लक्ष्मण सिंह ने कहा- जब हम पीसीसी या जिले की बॉडी का गठन करते हैं तो सबकी राय लेकर किया जाता है। ऐसा होता था पहले। मैं 1990 में विधायक बना और सन 1972 से मैं कांग्रेस के लिए काम कर रहा हूं। पहले जो नेता रहे श्यामा चरण हों, अर्जुन सिंह हों, बोरा जी हों, यह लोग कार्यकर्ताओं से पूछ कर बॉडी बनाते थे। उसका गठन होता था।

अजय सिंह राहुल का समर्थन

लक्ष्मण ने कहा- अजय सिंह ने जो बात कही। वह गलत नहीं कही। विंध्य के 8-10 जिलों से किसी को लिया ही नहीं। रीवा संभाग पूरा छोड़ दिया, कटनी जिला छोड़ दिया। वहां 40-50 सीटें आपने ऐसे ही छोड़ दी। फिर आप सरकार बनाने की बात करते हो। 40-50 सीटों पर आपने किसी को लिया ही नहीं। इस तरह संगठन की सूचियां बनाएंगे तो नुकसान होगा।

मैं पार्टी हित में बोल रहा, सबको बोलना चाहिए

पूर्व सांसद ने कहा- अब कब तक नुकसान उठाओगे। अब तो खड़गे जी खुद बोल रहे हैं, यह मैं नहीं बोल रहा हूं। वह बोल रहे हैं कि, वह वादा करो, जो निभा सको। बहुत बड़ी बात कही। मैं तो शुरू से कह रहा हूं। मुझसे सब लोग नाराज रहते हैं। मैं तो पार्टी के हित में बोलता हूं और सबको बोलना चाहिए।

बोलने से क्या होगा? मैं बोल रहा हूं तो ऐसा तो है नहीं कि मुझे पार्टी ने निकाल दिया या पार्टी वाले किसी ने मुझसे सवाल नहीं किया कि आप क्यों बोलते हो। पार्टी के हित में बोलना चाहिए। हम लोग नहीं बोलेंगे तो कौन बोलेगा? पार्टी सबकी होती है। पार्टी किसी परिवार की नहीं है।

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