मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में ओबीसी वर्ग की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने होल्ड अभ्यर्थियो की ओर से हस्तक्षेप याचिका तथा याचिका क्रमांक WP/18105/2021 मे पारित अन्तरिम आदेश दिनांक 04/8/2023 को री-काल करने हेतु एक और याचिका दाखिल करके, आज दिनांक 25/11/2024 को चीफ जस्टिस की खंडपीठ मे त्वरित सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया गया था। जिसकी सुनवाई आज दिनांक 25/11/2024 को, दोपहर 1 बजे नियत की गई।
राजनैतिक पार्टी को इस प्रकार की याचिका दाखिल करने का विधिक अधिकार नही
याचिका क्रमांक 18105/2021 एक पंजीबद्ध राजनैतिक पार्टी जिसका नाम यूथ फार इक्वालिटी है द्वारा दायर करके, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिनांक 02/9/2021 को चुनोती दी गई है जिसे तत्कालीन महाधिवक्ता के अभिमत के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी किया था। उक्त निर्देशों की वैधानिकता को चुनौती दी गई है, जबकी राजनैतिक पार्टी को इस प्रकार की याचिका दाखिल करने का कोई विधिक अधिकार नही है। फिर भी हाईकोर्ट ने उक्त याचिका क्रमांक WP/18105/2021 में दिनांक 04/08/2023 को अन्तरिम आदेश पारित करके समान्य प्रशासन विभाग के निर्देश दिनांक 02.09.2021 को स्टे कर दिया गया है।
ओबीसी आरक्षण की 82 अन्य याचिकाओ, की सुनवाई
महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा उक्त स्थगन आदेश के गलत अर्थन्वयन करके समान्य प्रशासन विभाग, स्कूल शिक्षा, चिकित्सा विभाग, सेल टेक्स विभाग, लोक सेवा आयोग, गृह विभाग सहित कई विभागो के नाम से अभिमत जारी करके समस्त भर्तियो को 87% पर किए जाने तथा 13% ओबीसी एवं 13% समान्य वर्ग के अभ्यर्थियो को होल्ड करने का विधिक अभिमत दिया गया है। उक्त अभिमत के चलते 2019 से शिक्षा विभाग तथा ट्रायबल विभाग द्वारा की जाने बाली शिक्षको की नियुक्तियों मे ओबीसी वर्ग के 13% पदो पर चयनित अभ्यर्थियो को होल्ड कर दिया है उक्त अभ्यर्थियो की ओर से याचिका क्रमांक 18105/2021 में हस्तक्षेप याचिका दाखिल की गई है। आज उक्त याचिका 18105/21 के साथ लिंक ओबीसी आरक्षण की 82 अन्य याचिकाओ, की सुनवाई चीफ जस्टिस श्री सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस श्री विवेक जैन की खन्डपीठ द्वारा की गई।
27% OBC आरक्षण को न तो हाईकोर्ट और न ही सुप्रीम कोर्ट ने स्टे किया है
ओबीसी वर्ग का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह द्वारा कोर्ट को बताया गया कि, मध्य प्रदेश विधान सभा द्वारा ओबीसी के 27% के आरक्षण को न तो हाईकोर्ट और न ही सुप्रीम कोर्ट ने स्टे किया गया है, केवल महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा जारी अभिमत के आधार पर, लोक सेवा आयोग की चयन परीक्षा 2019 से 2023 तक मे 13% ओबीसी तथा 13% समान्य वर्ग के अभ्यर्थियो को होल्ड करके चयन से वंचित कर उन्हे अवैधानिक रूप से होल्ड कर दिया गया है तथा 2022 से आरंभ शिक्षक भर्तियो, स्वस्थ विभाग की नियुक्तियों, पुलिस आरक्षको सहित तमाम भर्तियो मे ओबीसी वर्ग के कई हजार अभ्यर्थियो को अवैधानिक रूप से होल्ड कर दिया गया है एवं हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट मे उक्त आरक्षण से संबन्धित प्रकरणों के निराकण मे महाधिवक्ता एवं महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा कोई रूचि नही ली जा रही है तथा हीला-हवाली करके प्रकरणो को उलझाने का काम किया जा रहा है।
आगामी सुनवाई दिनांक 09/12/2024 को
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया की हाल ही मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा दो ट्रांसफर याचिकाओ को खारिज करते हुए, कहा गया है कि यदि किसी प्रकरण मे स्टे नही है, तो हाईकोर्ट ओबीसी आरक्षण से संवन्धित विचारधीन याचिकाओं की सुनवाई कर निराकरण कर सकता है। उक्त समस्त बिन्दुओ पर जबाब हेतु महाधिवक्ता कार्यालय को दो सप्ताह का दिया गया तथा आगामी सुनवाई दिनांक 09/12/2024 को नियत की गई है।
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